ज्वालामुखी का विश्ववितरण (World Distribution of Volcanoes)
विश्व के लगभग दो तिहाई ज्वालामुखी प्रशान्त महासागर के दोनों तटीय भागों, द्वीप चापों (island arcs) तथा समुद्रीय द्वीपों के सहारे पाए जाते हैं। ज्वालामुखी की इस मेखला को ‘प्रशान्त महासागर का ज्वालावृत्त’ (fire girdle of the Pacific Ocean अथवा Fire Ring of Pacific) कहते हैं।
ज्वालामुखी उद्गार के कारण (Causes of Volcanic Eruption)
यदि ज्वालामुखी के धरातल पर वितरण को देखें तो पाएंगे कि अधिकतर ज्वालामुखी भूपटल के कमजोर भागों में पाए जाते हैं तथा भूकम्प से इनका गहरा सम्बन्ध होता है । हालांकि हिमालय क्षेत्र इसके अपवाद हैं, क्योंकि यहाँ पर भूकम्प अधिकतर आते रहते हैं, लेकिन ज्वालामुखी घटनाएँ नगण्य हैं। ज्वालामुखियों का सागर तटों के सहारे पाया जाना इस बात ओर इशारा करता है कि जल एवं ज्वालामुखी के उद्गार में गहरा सम्बन्ध है।
उद्गार की अवधि (सक्रियता) के अनुसार ज्वालामुखी का वर्गीकरण (Classification of volcanoes according to duration of eruption)
ज्वालामुखी चाहे कैसे भी हों, केन्द्रीय उद्गार वाले हों या दरारी उद्गार वाले, सब एक समान रूप से क्रियाशील नहीं होते हैं। कुछ ज्वालामुखी उद्गार के तुरंत बाद ही समाप्त हो जाते हैं तथा कुछ ज्वालामुखी कुछ समय के बाद पुन: प्रकट होते रहते हैं। इस प्रकार उद्गार के समय तथा दो उद्गारों के बीच अवकाश के आधार अर्थात् ज्वालामुखी की सक्रियता के आधार पर इन्हें तीन श्रेणियों में बाँटा गया है
ज्वालामुखी के प्रकार (Types of Volcanoes)
जहां एक ओर कुछ ज्वालामुखी बहुत तेज आवाज के साथ विस्फोटक रूप में धरातल पर प्रकट होते हैं, वहीं कुछ दूसरे ज्वालामुखी शान्त रूप में दरार के रूप में धरातल पर प्रकट होते हैं। जबकि कुछ ज्वालामुखी उद्गार के बाद जल्दी ही शान्त हो जाते हैं व कुछ काफी समय तक सक्रिय रहते हैं।
ज्वालामुखी से निकलने वाले पदार्थ व ज्वालामुखी के अंग (Materials Ejected by Volcanoes and Parts of Volcano)
ज्वालामुखी क्विस्फोट के समय होने वाले उद्गार से विभिन्न प्रकार के पदार्थ निकलते हैं। इन पदार्थों को मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में विभाजित किया जाता है।
1. गैस तथा जलवाष्प 2.विखण्डित पदार्थ (fragmental materials) 3. लावा पदार्थ
ज्वालामुखी व ज्वालामुखी क्रिया में क्या अन्तर होता है? (What is the difference between Volcano and Vulcanicity?)
यदि हम किसी साधारण व्यक्ति से पूछे तो उसके लिए ज्वालामुखी (volcano) तथा ज्वालामुखी क्रिया (vulcanicity) एक समान अर्थ रखते हैं, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है। भूगर्भशास्त्र (geology) में इन दोनों शब्दों का अलग-2 अर्थ हैं। जहां ज्वालामुखी से अभिप्राय उस छिद्र अथवा दरार से होता है जिससे होकर गर्म लावा, गैस, पत्थर के टुकड़े तथा धूल आदि निकलते हैं।
बृहद मृदा वर्गीकरण योजना (Comprehensive Soil Classification System, CSCS)
मृदा वर्गीकरण की इस योजना को संक्षेप में CSCS भी कहा जाता है । सन् 1975 में अमेरिकी मृदा संरक्षण सेवा के मृदा सर्वेक्षण विभाग ने मिट्टियों के वर्गीकरण की एक विस्तृत एवं वैज्ञानिक योजना प्रस्तुत की जिसे बृहद मृदा वर्गीकरण तंत्र कहा जाता है।
मिट्टियों का USDA SYSTEM आधारित वर्गीकरण (USDA SYSTEM of Soils’ Classification)
रूसी भूवैज्ञानिक V. V. Dokuchaev ने किसी भी प्रदेश की मिट्टियों के विकास तथा उस प्रदेश की जलवायु एवं वनस्पतियों के बीच गहरा सम्बन्ध बताया है। प्रसिद्ध अमेरिकी विज्ञानी सी० यफ० मारबुत ने 1938 में ‘मृदा वर्गीकरण के व्यापक तंत्र की योजना’ (Scheme of Comprehensive System of Soil Classification) प्रस्तुत की। इस योजना को USDA SYSTEM (USDA United States Department of Agriculture) कहा जाता है।
रिफ्ट घाटी (Rift Valley)
जब किसी स्थान पर कई किलोमीटर की लम्बाई में फैले दो सामान्य भ्रंशों (Normal Faults) के बीच का भाग नीचे धँस जाता है, तब एक बेसिन या घाटी का निर्माण हो जाता है जिसे ‘रिफ्ट घाटी’ या ‘ग्राबेन’ (graben) कहा जाता है। रिफ्ट घाटी का निर्माण उस समय भी हो सकता है जब सामान्य भ्रंशों (Normal Faults) के बीच का भाग स्थिर रहे और अगल-बगल वाले भाग ऊपर उठ जाएं।
भ्रंश के प्रकार (Types of Faults)
सामान्य भ्रंश (normal fault)
सामान्य भ्रंश (Normal Fault) का निर्माण तनाव बल के कारण होता है। चट्टानों में तनाव बल के कारण दरार पड़ जाने से उसके दोनों खण्ड जब विपरीत दिशाओं में खिसक जाते हैं और उनके मध्य की दूरी बढ़ जाती है। जिससे सामान्य भ्रंश का निर्माण होता है। इस प्रकार सामान्य भ्रंश से भू-पटल में प्रसार होता है। सामान्य भ्रंश वाले भ्रंश तल (fault plane) लम्बवत् या खड़े ढाल वाले होते हैं।
भ्रंश का अर्थ व सम्बंधित शब्दावली I Fault Meaning in Hindi
भ्रंश क्या है ?
क्षैतिज संचलन के दोनों बलों (तनाव व संपीडन) के कारण जब धरातल में एक तल (plane) के सहारे चट्टानों का स्थानान्तरण या खिसकाव होता है, तो उससे बनने वाली संरचना को ‘भ्रंश’ कहते हैं। भ्रंश के अंतर्गत दरारों (cracks), विभंग (fracture) व भ्रंशन (faulting) को शामिल किया जाता है। जिस तल के सहारे धरातलीय चट्टानों का खिसकाव होता है, उसे विभंग तल या भ्रंश तल (fault plane) कहते हैं।
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