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ज्वालामुखी व ज्वालामुखी क्रिया में क्या अन्तर होता है? (What is the difference between Volcano and Vulcanicity?)

Difference between volcano and vulcanicity

यदि हम किसी साधारण व्यक्ति से पूछे तो उसके लिए ज्वालामुखी (volcano) तथा ज्वालामुखी क्रिया (vulcanicity) एक समान अर्थ रखते हैं, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है। भूगर्भशास्त्र (geology) में इन दोनों शब्दों का अलग-2 अर्थ हैं। जहां ज्वालामुखी से अभिप्राय उस छिद्र अथवा दरार से होता है जिससे होकर गर्म लावा, गैस, पत्थर के टुकड़े तथा धूल आदि निकलते हैं। 

बृहद मृदा वर्गीकरण योजना (Comprehensive Soil Classification System, CSCS)

Comprehensive Soil Classification System

मृदा वर्गीकरण की इस योजना को संक्षेप में CSCS भी कहा जाता है । सन् 1975 में अमेरिकी मृदा संरक्षण सेवा के मृदा सर्वेक्षण विभाग ने मिट्टियों के वर्गीकरण की एक विस्तृत एवं वैज्ञानिक योजना प्रस्तुत की जिसे बृहद मृदा वर्गीकरण तंत्र कहा जाता है।

मिट्टियों का USDA SYSTEM आधारित वर्गीकरण (USDA SYSTEM of Soils’ Classification)

USDA SYSTEM of Soils' Classification

रूसी भूवैज्ञानिक V. V. Dokuchaev ने किसी भी प्रदेश की मिट्टियों के विकास तथा उस प्रदेश की जलवायु एवं वनस्पतियों के बीच गहरा सम्बन्ध बताया है। प्रसिद्ध अमेरिकी विज्ञानी सी० यफ० मारबुत ने 1938 में ‘मृदा वर्गीकरण के व्यापक तंत्र की योजना’ (Scheme of Comprehensive System of Soil Classification) प्रस्तुत की। इस योजना को USDA SYSTEM (USDA United States Department of Agriculture) कहा जाता है। 

रिफ्ट घाटी (Rift Valley)

Rift Valley or Graben

जब किसी स्थान पर कई किलोमीटर की लम्बाई में फैले दो सामान्य भ्रंशों (Normal Faults) के बीच का भाग नीचे धँस जाता है, तब एक बेसिन या घाटी का निर्माण हो जाता है जिसे  ‘रिफ्ट घाटी’ या ‘ग्राबेन’ (graben) कहा जाता है। रिफ्ट घाटी का निर्माण उस समय भी हो सकता है जब सामान्य भ्रंशों (Normal Faults) के बीच का भाग स्थिर रहे और अगल-बगल वाले भाग ऊपर उठ जाएं। 

भ्रंश के प्रकार (Types of Faults)

Reverse Fault

सामान्य भ्रंश  (normal fault)

सामान्य भ्रंश (Normal Fault) का निर्माण तनाव बल के कारण होता है। चट्टानों में तनाव बल के कारण दरार पड़ जाने से उसके दोनों खण्ड जब विपरीत दिशाओं में खिसक जाते हैं और उनके मध्य की दूरी बढ़ जाती है। जिससे सामान्य भ्रंश का निर्माण होता है। इस प्रकार सामान्य भ्रंश से भू-पटल में प्रसार होता है। सामान्य भ्रंश वाले भ्रंश तल (fault plane) लम्बवत् या खड़े ढाल वाले होते हैं।

भ्रंश एवं सम्बंधित शब्दावली (Faults and Related Terminology)

Important terminology related to fault

भ्रंश क्या है ?

क्षैतिज संचलन के दोनों बलों (तनाव व संपीडन) के कारण जब धरातल में एक तल (plane) के सहारे चट्टानों का स्थानान्तरण या खिसकाव होता है, तो उससे बनने वाली संरचना को ‘भ्रंश’ कहते हैं। भ्रंश के अंतर्गत दरारों (cracks), विभंग (fracture) व भ्रंशन (faulting) को शामिल किया जाता है। जिस तल के सहारे धरातलीय चट्टानों का खिसकाव होता है, उसे विभंग तल या भ्रंश तल (fault plane) कहते हैं।

वलन के प्रकार (Types of Folds)

Anticline and Syncline

प्रस्तुत लेख में आप वलन का अर्थ एवं उसके प्रकारों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

भूसंचलन (Earth Movements)

Epeirogenetic Movement

इस लेख में आप भूसंचलन के लिए उत्तरदायी बलों एवं इन बलों के कारण बनने वाली स्थलाकृतियों के बारे में जानेंगे।

मृदा संरक्षण (Soil Conservation)

मृदा संरक्षण के उपाय

मृदा संरक्षण में उन सभी उपायों को किया जा सकता है, जिनसे मृदा अपरदन पर नियंत्रण पाया जा सके और साथ ही मिट्टी का ऊपजाऊपन भी वापस लाया जा सके। इस तरह के उपाय निम्नलिखित हो सकते हैं

(अ) स्थानीय या व्यक्ति स्तर के लघु उपाय

(ब) बड़े क्षेत्र पर बड़ी लागत वाले सरकारी स्तर पर किए गए बृहत् उपाय

(स) अतिरिक्त उपाय

मृदा अपरदन के प्रकार व कारण (Types and Causes of Soil Erosion)

Gully Erosion

जब जल या वायु के प्रभाव में आकर मृदा की ऊपरी परत कटकर हब जाती है, तो इसे मृदा अपरदन कहते हैं। मृदा का अपरदन  उन इलाकों में अधिक होता है, जहाँ धरातल वनस्पतिहीन तथा खड़े ढाल वाला होता है।

मृदा अपरदन के प्रकार (Types of Soil Erosion)

1. परतदार अपरदन (Layer or Sheets Erosion) 2. रिल या क्षुद्र सरिता (Rill) अपरदन 3. नालीदार अपरदन (Gully Erosion)

अक्षांश एवं देशान्तर (Latitude and Longitude)

Latitude and longitude

भू-पृष्ठ पर विषुवत रेखा या भूमध्यरेखा (Equator) से उत्तर या दक्षिण में स्थित किसी भी स्थान या बिन्दु की पृथ्वी के केन्द्र से मापी गई कोणीय दूरी, अक्षांश कहलाती है। 

अक्षांश को अंशों (degree), मिनटों (minutus) व सेकेंडों (seconds) में दर्शाया जाता है। 

विषुवत रेखा या भूमध्यरेखा 0° का अक्षांश प्रदर्शित करती है। यह पृथ्वी को दो बराबर भागों में बाँटता है।

पृथ्वी के चारों ओर धरातल पर विषुवत रेखा या भूमध्यरेखा (Equator) से उत्तर या दक्षिण में एक ही अक्षांश पर स्थित स्थानों को मिलाने से बनने वाले वृत्त या काल्पनिक रेखा अक्षांश रेखा कहलाती है।

पर्वत एवं उनका वर्गीकरण (Mountains and their Classification)

Mountain ranges of world

पर्वत श्रेणी (Mountain range)

एक ही काल में निर्मित तथा एक सँकरी पेटी में विस्तृत पर्वत एवं पहाड़ियों के क्रम को पर्वत श्रेणी (Mountain range) कहते हैं। इसमें अनेक पर्वत शिखर व घाटियाँ मिलती हैं। 

पर्वत श्रृंखला (Mountain chain)

भिन्न-भिन्न कालों में बनी समानान्तर श्रेणियाँ व एकाकी पर्वत मिलकर पर्वत श्रृंखला (Mountain chain) बनाते हैं। 

पर्वत समूह (Mountain group) 

एक पर्वत तंत्रों का ऐसा समू, जिसमें कई युगों में बने पर्वत व पहाड़ियाँ पायी जाती हैं पर्वत समूह (Mountain group) कहलाता है। 

कार्डिलेरा (Cordillera)

कार्डिलेरा (Cordillera) के अंतर्गत कई पर्वत समूह व पर्वत तंत्र शामिल किए जाते हैं। उत्तरी अमेरिका का प्रशांत तटीय पर्वतीय भाग रॉकी कार्डिलेरा इसका प्रमुख उदाहरण है।