वलित पर्वत (Folded Mountain)
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इस लेख में आप वलित पर्वतों (Folded Mountain) का अर्थ, इसके प्रकार तथा विभिन्न विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानेंगे।
लावा और मैगमा में अंतर (Differences between Lava and Magma)
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मैग्मा पृथ्वी की सतह के नीचे मौजूद एक गर्म, पिघला हुआ या अर्ध-पिघला हुआ चट्टानी पदार्थ है। यह पृथ्वी की सतह के नीचे, विशेष रूप से मेंटल और क्रस्ट (भूपर्पटी) के बीच पाया जाता है। मैग्मा खनिजों, गैसों और अन्य अस्थिर तत्वों का मिश्रण होता है, जो इसे पिघलने और गतिशील रहने में मदद करते हैं।
अवसादी शैल (Sedimentary Rock)
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अवसादी शैल (Sedimentary Rock) का निर्माण चट्टानों के टूटे हुए टुकड़ों (अवसादों) के जमा होने से होता है। “अवसादी” शब्द लैटिन भाषा के “सेडिमेंटम” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “नीचे बैठना”। यह शैल प्राचीन चट्टानों और खनिजों के कणों के संगठित होकर परतों में जमा होने से बनती है। अवसादी शैल को “परतदार चट्टान” भी कहा जाता है क्योंकि इनमें विभिन्न परतें स्पष्ट रूप से पाई जाती हैं।
भारत का भूवैज्ञानिक इतिहास (Geological History of India)
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इस लेख में जानें भारत का भूवैज्ञानिक इतिहास, जो अत्यंत प्राचीन और विविध है, जो पृथ्वी की उत्पत्ति से लेकर आज तक फैला हुआ है।
व्यावहारिक भूआकारिकी (Applied Geomorphology): अर्थ, परिभाषाएं एवं विकास
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“व्यावहारिक भूआकारिकी (Applied Geomorphology) में धरातलीय आकृतियों का अध्ययन और उनके व्यावहारिक उपयोग पर जोर दिया जाता है। जानिए इसके अर्थ, परिभाषा, महत्व और भारतीय भूआकृति विज्ञान में योगदान।”
विभिन्न धर्मों के अनुसार पृथ्वी की आयु
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विभिन्न धर्मों के अनुसार पृथ्वी की आयु के बारे में जानें। भारतीय, ईसाई और ईरानी विद्वानों ने कैसे निर्धारित की पृथ्वी की उत्पत्ति? पढ़ें विस्तृत जानकारी।
पृथ्वी की आंतरिक संरचना (interior of the earth in hindi)
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हम सब पृथ्वी की ऊपरी सतह को तो आसानी से देखकर इस पर फैले विभिन्न प्राकृतिक एवं मानवीय तत्त्वों के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं, लेकिन जब बात इसके आंतरिक भाग की बनावट या पृथ्वी की आंतरिक संरचना (interior of the earth in hindi) की आती है तो उसके बारे में जानकारी के […]
पवन के निक्षेप कार्य द्वारा बनाई गई स्थलाकृतियाँ
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पवन के निक्षेपण कार्य द्वारा बनाई गई स्थलाकृतियाँ जैसे बालुका स्तूप और लोयस महत्वपूर्ण भू-आकृतियाँ हैं। जानें पवन का निक्षेपण कार्य कैसे होता है, इसके निर्माण की प्रक्रिया और रेगिस्तानी स्थलों पर इसका प्रभाव।
मास वेस्टिंग (Mass Wasting)
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“मास वेस्टिंग (Mass Wasting) के विभिन्न प्रकार जैसे क्रीप, सोलीफ्लक्शन, भूस्खलन और उनके कारण, प्रभाव और रोकथाम के उपायों को सरल हिंदी में समझें। भूगोल की परीक्षाओं जैसे UPSC, RPSC, UGC NET, और अन्य के लिए उपयोगी जानकारी।”
दक्षिणी दोलन (Southern Oscillation)
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यह घटना प्रशांत महासागर के वायुमंडलीय दाब में परिवर्तन को दर्शाती है और इसके प्रभाव को समझना विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के भूगोल विषय में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। इस लेख में हम दक्षिणी दोलन के विभिन्न पहलुओं, इसके प्रमुख घटकों और इसके वैश्विक जलवायु पर पड़ने वाले प्रभावों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे, जो विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए अत्यधिक उपयोगी सिद्ध होगा।
शैलिकी की संकल्पना (Concept of Petrology)
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जो छात्र बी.ए, एम.ए, यूजीसी नेट, यूपीएससी, आरपीएससी, केवीएस, एनवीएस, डीएसएसएसबी, एचपीएससी, एचटीईटी, आरटीईटी, यूपीपीसीएस, बीपीएससी जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए शैलिकी की संकल्पना का ज्ञान महत्वपूर्ण है। शैलिकी हमें यह समझने में मदद करती है कि चट्टानों का निर्माण, उनके प्रकार और उनके परिवर्तनों के पीछे क्या कारण हैं। यह […]
एकरूपतावाद की संकल्पना (Concept of Uniformitarianism)
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एकरूपतावाद (Uniformitarianism) भूआकृति विज्ञान की एक प्रमुख संकल्पना है, जो यह बताती है कि वर्तमान में पृथ्वी की सतह पर होने वाली भूगर्भिक प्रक्रियाएँ और नियम पूरे भूगर्भिक इतिहास में समान रूप से कार्यरत रहे हैं। जेम्स हटन, जिन्हें ‘भूविज्ञान का पिता’ कहा जाता है, ने इस सिद्धांत को पहली बार प्रस्तुत किया था।
भूआकृति विज्ञान:परिभाषा,प्रकृति एवं विषयक्षेत्र (Geomorphology: Definition, Nature and Scope)
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भूआकृति विज्ञान:परिभाषा,प्रकृति एवं विषयक्षेत्र (Geomorphology: Definition, Nature and Scope) भूआकृति विज्ञान का अर्थ जैसा कि हम जानते हैं भौतिक भूगोल के प्रमुख चार संघटकों के अध्ययन करने वाले विषय को अलग-अलग विज्ञान के नाम से सम्बोधित किया जाता है जैसे स्थलमण्डल का अध्ययन करने वाले विज्ञान को भूआकृति विज्ञान, सागर तथा महासागर या जलमण्डल का […]
भूमिगत जल: अर्थ, स्त्रोत तथा विभिन्न मण्डल (Ground water: Meaning, Sources and different Zones)
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“जानें भूमिगत जल का अर्थ, स्त्रोत, और इसके विभिन्न मण्डलों की विशेषताएँ। इस लेख में हम समझाएंगे कैसे भूमिगत जल चट्टानों में संग्रहित होता है, इसके प्रमुख स्रोत कौन से हैं, और विभिन्न मण्डलों का वर्गीकरण।”
21 जून का दिन बड़ा क्यों होता है? जानें इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण
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ग्रीष्म संक्रांति का अर्थ है “गर्मियों का प्रारंभ”। 21 जून को ग्रीष्म संक्रांति (Summer Solstice) के रूप में जाना जाता है क्योंकि इस दिन पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर सबसे अधिक झुका होता है। इस कारण सूर्य की किरणें सीधे कर्क रेखा (23.5 डिग्री उत्तरी अक्षांश) पर पड़ती हैं, जिससे दिन की लंबाई सबसे अधिक होती है।