प्रादेशिक भूगोल (Regional Geography)
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यह भौगोलिक अध्ययन का एक प्रमुख उपागम (अध्ययन विधि) है जिसमें किसी सम्पूर्ण क्षेत्रीय इकाई के विभिन्न खण्डों या प्रदेशों का अध्ययन अलग-अलग किया जाता है। यह प्रदेशों (उप विभागों) का भूगोल है। उदाहरण के लिए जब विश्व को विभिन्न प्रदेशों में विभाजित करके उनका अलग-अलग भौगोलिक अध्ययन किया जाता है, तब वह विश्व का प्रादेशिक भूगोल कहलाता है।
क्रमबद्ध भूगोल (Systematic Geography)
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भौगोलिक अध्ययन के इस उपागम में अध्ययन किए जाने वाले क्षेत्र को एक पूर्ण इकाई मानकर उसके विभिन्न भौगोलिक तत्वों या प्रकरणों (topics) का क्रमिक रूप से अध्ययन किया जाता है। इसे विषयगत उपागम (topical approach) के नाम से भी जाना जाता है।
ब्रिटेन में भूगोल की प्रमुख शाखाएं (Major Branches of Geography in Britain)
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ब्रिटेन में भूगोल में विशिष्टीकरण और उसकी विभिन्न शाखाओं का विकास बीसवीं शताब्दी में हुआ। ब्रिटिश भूगोलवेत्ताओं ने भूगोल की जिन शाखाओं को विकसित किया उनमें राजनीतिक भूगोल, प्रादेशिक भूगोल, भौतिक भूगोल, मानव भूगोल, ऐतिहासिक भूगोल, आर्थिक भूगोल और नगरीय भूगोल प्रमुख हैं।
पुनर्जागरण काल के भूगोलवेत्ता (Geographers of Renaissance Period)
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पीटर एपियन (1405-1552) एक मानचित्रकार थे जिन्होंने 1530 में निर्मित अपने मानचित्र में पृथ्वी को पान के पत्ते की आकृति में या हृदयाकार (heart shape) दिखाया था।
अवस्थिति एवं स्थिति (Location and Situation)
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अवस्थिति से अभिप्राय है कि कोई वस्तु, स्थान या घटना पृथ्वी के तल पर कहाँ स्थित है। भौगोलिक अध्ययन में स्थिति का ज्ञान आवश्यक होता है। इसको धरातल पर स्थित किसी ऐसे बिन्दु, भूभाग या स्थिति के रूप में देखा जाता है जहाँ कोई तथ्य, घटना या जीव स्थित होता है।
प्रदेश की संकल्पना (Concept of Region)
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प्रदेश एक क्षेत्रीय इकाई होता है जिसके अंतर्गत विशिष्ट अथवा समान लक्षण (unique or similar character) पाए जाते हैं। अपने विशिष्ट अभिलक्षणों के कारण यह अन्य भूभागों से भिन्न होता है। एक प्रदेश के अंतर्गत किसी एक या अनेक तत्वों की समानता पाई जाती है।
भौगोलिक अध्ययन में उपयोगी 30+ उपकरण (30+ Apparatus Useful in Geographical Studies)
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भूगोल विषय से संबंधित विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने महत्पूर्ण उपकरणों, जिनका उपयोग भौगोलिक अध्ययन में किया जाता है, की सूची नीचे दी गई है
91 भौगोलिक सिद्धांत व उनके प्रतिपादक (91 Geographical Theories and their Proponents)
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भूगोल विषय से संबंधित विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले भौगोलिक सिद्धांतो एवं उनके प्रतिपादकों की सूची नीचे दी गई है
मानचित्र पर खींची जाने वाली प्रमुख रेखाएँ (Major Lines Drawn on a Map)
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यदि आप विभिन्न प्रकार के मानचित्रों जैसे स्थलाकृतिक मानचित्र, मौसम मानचित्र आदि पर नजर डालेंगे तो उन पर कुछ रेखाएं देखने को मिलेंगी। मानचित्र पर खींची ये रेखाएं विभिन्न मूल्यों या तथ्यों को दर्शाती हैं। उदाहरण के लिए स्थलाकृतिक मानचित्र पर खिंची जाने वाली समोच्च रेखाएं एक समान ऊंचाई वाले स्थानों को मिलाती हैं।
महत्पूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखाएँ (Important International Borders)
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अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ राजनीतिक या कानूनी क्षेत्राधिकारों जैसे देशों, सीमा शुल्क क्षेत्रों और संप्रभु राज्यों की भौगोलिक सीमाएँ हैं । सीमा रेखा के निर्धारण की प्रक्रिया को सीमा परिसीमन कहा जाता है । कुछ अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ जैसे कि यूरोपीय संघ जैसे मुक्त आवाजाही वाले क्षेत्र में बहुत कम सुरक्षा होती है या पूरी तरह से खुली होती हैं।
क्षेत्रीय भिन्नता की संकल्पना (Concept of Areal Differentiation)
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क्षेत्रीय भिन्नता का अभिप्राय यह है कि भौतिक तथ्यों जैसे उच्चावच, जलवायु, जलाशय, मिट्टी एवं खनिज, वनस्पति, पशु जीवन आदि, और सांस्कृतिक तथ्यों जैसे जनसंख्या, कृषि, खनन, उद्योग, व्यापार, परिवहन के साधनों, गृह तथा बस्तियों आदि के वितरण में विषमता और भिन्नता पाई जाती है।
पार्थिव एकता की संकल्पना (Concept of Terrestrial Unity)
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पार्थिव एकता की संकल्पना विभिन्न तथ्यों के बीच घनिष्ट सम्बंध को दर्शाती है अतः इसे अंतर्सम्बंध (Inter-relationship) की संकल्पना भी कहा जाता है।
स्थानिक अंतःक्रिया की संकल्पना (Concept of Spatial Interaction)
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स्थानिक अंतःक्रिया (अन्योन्यक्रिया) का अभिप्राय दो या अधिक भौगोलिक क्षेत्रों के बीच होने वाली पारस्परिक क्रिया-प्रतिक्रिया, सम्पर्क, स्थानान्तरण तथा संयोजन (linkage) से है। इस संकल्पना की विस्तृत व्याख्या करते हुए उलमैन (E.L. Ullman, 1954) ने भूगोल को स्थानिक (क्षेत्रीय) अंतःक्रिया का अध्ययन बताया है।
भूदृश्य की संकल्पना (Concept of Landscape)
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हम जानते हैं कि पृथ्वी का धरातल एक समान नहीं है यहां पर कहीं तो ऊंचे-ऊंचे पर्वत है, कहीं पर पठारी भाग हैं,कहीं बड़े-बड़े मैदान हैं, कहीं पर गहरे जलीय भाग हैं, तो कहीं घने वन क्षेत्र देखने को मिलते हैं। इन प्राकृतिक भू आकृतियों के अतिरिक्त यहां मानव द्वारा बसाई गई बस्तियां, कृषि क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र आदि देखने को मिलते हैं।
रोमन काल में भौगोलिक अध्ययन के प्रमुख पक्ष (Major Aspects of Geographical Study in Roman Period)
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रोमन काल में भूगोलवेत्ताओं का प्रमुख योगदान ऐतिहासिक भूगोल, प्रादेशिक भूगोल, गणितीय भूगोल रोमन तथा मानचित्र कला के क्षेत्र में रहा। हालांकि रोमन काल के प्रादेशिक वर्णनों में भौतिक तथ्यों के वर्णन भी मिलते हैं लेकिन भौतिक भूगोल में रोमन विद्वानों का योगदान बहुत अधिक नहीं था।