ए. सी. बनर्जी की सिफीड परिकल्पना
जानें कैसे ए. सी. बनर्जी की सिफीड परिकल्पना (Cepheid Hypothesis of A.C. Banerjee) के अनुसार, तारे ग्रहों की रचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इस परिकल्पना का खगोल विज्ञान में क्या महत्व है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए यह जानकारी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
रासगन की विखण्डन परिकल्पना
“रासगन की विखण्डन परिकल्पना (Fission Hypothesis of Ross Gun): ग्रहों की उत्पत्ति और सूर्य से उनकी दूरी को समझाने वाला महत्वपूर्ण वैज्ञानिक सिद्धांत। जानें, इस परिकल्पना के मुख्य सिद्धांत, महत्व, और इसकी कमजोरियों के बारे में। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए उपयोगी जानकारी।”
रसेल की द्वैतारक परिकल्पना
“रसेल की द्वैतारक परिकल्पना के बारे में जानें, जिसमें सूर्य और उसके साथी तारे की भूमिका से ग्रहों और उपग्रहों की उत्पत्ति को समझाया गया है। यह लेख भूगोल के छात्रों और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों के लिए उपयोगी जानकारी प्रदान करता है।”
जीन्स तथा जैफ्रे की ज्वारीय परिकल्पना (1919)
जीन्स तथा जैफ्रे की ज्वारीय परिकल्पना (1919) सौरमंडल की उत्पत्ति को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। यह परिकल्पना विशेष रूप से उन छात्रों के लिए उपयोगी है जो भूगोल विषय में B.A, M.A, UGC NET, UPSC, RPSC, KVS, NVS, DSSSB, HPSC, HTET, RTET, UPPCS, और BPSC जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। इस लेख में, हम इस परिकल्पना के विभिन्न पहलुओं, तर्कों और आपत्तियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जिससे छात्रों को इस महत्वपूर्ण सिद्धांत को गहराई से समझने में मदद मिलेगी।
चेम्बरलेन और मोल्टन की ग्रहाणु परिकल्पना
चेम्बरलेन और मोल्टन की ग्रहाणु परिकल्पना सौरमंडल की उत्पत्ति को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। जानें कैसे सूर्य के निकट एक तारे के आने से ग्रहों की रचना हुई। यह लेख भूगोल विषय में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों के लिए उपयोगी है।
लॉकियर की उल्का परिकल्पना
लॉकियर की उल्का परिकल्पना (Lockyer’s meteoritic hypothesis): सौरमंडल की उत्पत्ति और विकास को समझने के लिए नॉर्मन लॉकियर द्वारा प्रस्तुत सिद्धांत। इस परिकल्पना के महत्व और आपत्तियों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें।
लाप्लेस की नीहारिका परिकल्पना
लाप्लेस की नीहारिका परिकल्पना (Laplace’s nebular hypothesis, 1796) के बारे में जानें, जो सौरमंडल की उत्पत्ति को समझाने वाला एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे UPSC, UGC-NET, और RPSC के लिए यह जानकारी बेहद उपयोगी है।
कांट का गैसीय सिद्धांत
“कान्त का गैसीय सिद्धांत (Kant’s Gaseous Hypothesis) 1755: सौरमंडल की उत्पत्ति को समझाने का प्रारंभिक प्रयास। जानें कैसे इमैनुएल कांट के विचारों ने खगोल विज्ञान में नए विचारों को जन्म दिया और आधुनिक विज्ञान को दिशा दी।”
रिचर्ड हार्टशोर्न (Richard Hartshorne)
रिचर्ड हार्टशोर्न हार्टशोर्न का जन्म 1899 में संयुक्त राज्य में पश्चिम पेन्सिलवेनिया के किट्टोनिंग (kittoning) नगर में हुआ था। स्थानीय स्कूल से माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् हार्टशोर्न ने 1920 में प्रिन्सटन विश्वविद्यालय से गणित में उच्चशिक्षा प्राप्त किया और 1921-1923 तक शिकागो में रहकर सहायक अध्यापक के रूप में कार्य किया।
कार्ल ऑस्कर सावर (Carl Oscar Sauer)
कार्ल ऑस्कर सावर (1889-1975) बीसवीं शताब्दी के प्रमुख अमेरिकी भूगोलवेत्ता थे। कार्ल सावर का जन्म 1889 में संयुक्त राज्य अमेरिका में मिसौरी राज्य के वारेन्टन नगर में हुआ था। वारेन्टन कालेज से 1908 में स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के पश्चात् उन्होंने 1915 में शिकागो विश्वविद्यालय से प्रख्यात् भूगोलवेत्ता सैलिसबरी के निर्देशन में डाक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त की थी।
एल्सवर्थ हंटिंगटन (Ellsworth Huntington)
एल्सवर्थ हंटिंगटन (1876-1947) एक भूवैज्ञानिक, भूगोलवेत्ता और जलवायु विज्ञानी के रूप में प्रसिद्ध हैं। हंटिंगटन संयुक्त राज्य के वेलोइट कालेज (Beloit College) से स्रातक उपाधि प्राप्त करने के पश्चात् टर्की चले गये जहाँ उनकी नियुक्ति एक कालेज में भूगोल के प्राध्यापक के रूप में हो गयी। वहाँ हंटिंगटन ने 1901 तक कार्य किया।
एलेन चर्चिल सेम्पुल (Ellen Churchill Semple)
जानिए एलेन चर्चिल सेम्पुल (Ellen Churchill Semple) के बारे में जिन्होंने मानव भूगोल के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया और फ्रेडरिक रैटजेल की नियतिवादी विचारधारा का समर्थन किया।
पैट्रिक गेडिस (Pettric Geddes)
फ्रांसीसी समाजशास्त्री ली प्ले (1806-1882) के विचारों से प्रभावित होकर गेडिस ने मानव समुदायों के अध्ययन के लिए ‘स्थान-कार्य-लोक’ (Place-Work-Folk) पद्धति का प्रतिपादन किया।
ए. जे. हरबर्टसन (A. J. Herbertson)
ए. जे. हरबर्टसन विश्व के प्रमुख प्राकृतिक प्रदेशों के निर्धारक के रूप में विख्यात् हैं। उन्होंने 1904 में रायल ज्योग्राफिक सोसाइटी के सम्मुख विश्व के बृहत् प्राकृतिक प्रदेशों से सम्बंधित एक शोध पत्र पढ़ा था जिसका प्रकाशन अगले वर्ष (1905) ‘भौगोलिक पत्रिका’ में हुआ। इसका शीर्षक था ‘बृहत् प्राकृतिक प्रदेश क्रमबद्ध भूगोल पर एक निबंध’ (Major Natural Regions – An Essay in Systematic Geography)।
हरबर्ट जॉन फ्ल्यूर (Herbert John Fleure)
हरबर्ट जॉन फ्ल्यूर (1877-1968) ब्रिटेन के प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता और मानव विज्ञानी (anthropologist) थे। फल्यूर का जन्म 1877 में गुवर्नसी (ब्रिटेन) में हुआ था। फ्ल्यूर ने जन्तु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, भूविज्ञान और भूगोल विषयों में शिक्षा प्राप्त की थी।