पवन के निक्षेप कार्य द्वारा बनाई गई स्थलाकृतियाँ
पवन के निक्षेपण कार्य द्वारा बनाई गई स्थलाकृतियाँ जैसे बालुका स्तूप और लोयस महत्वपूर्ण भू-आकृतियाँ हैं। जानें पवन का निक्षेपण कार्य कैसे होता है, इसके निर्माण की प्रक्रिया और रेगिस्तानी स्थलों पर इसका प्रभाव।
मास वेस्टिंग (Mass Wasting)
“मास वेस्टिंग (Mass Wasting) के विभिन्न प्रकार जैसे क्रीप, सोलीफ्लक्शन, भूस्खलन और उनके कारण, प्रभाव और रोकथाम के उपायों को सरल हिंदी में समझें। भूगोल की परीक्षाओं जैसे UPSC, RPSC, UGC NET, और अन्य के लिए उपयोगी जानकारी।”
दक्षिणी दोलन (Southern Oscillation)
यह घटना प्रशांत महासागर के वायुमंडलीय दाब में परिवर्तन को दर्शाती है और इसके प्रभाव को समझना विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के भूगोल विषय में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। इस लेख में हम दक्षिणी दोलन के विभिन्न पहलुओं, इसके प्रमुख घटकों और इसके वैश्विक जलवायु पर पड़ने वाले प्रभावों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे, जो विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए अत्यधिक उपयोगी सिद्ध होगा।
शैलिकी की संकल्पना (Concept of Petrology)
जो छात्र बी.ए, एम.ए, यूजीसी नेट, यूपीएससी, आरपीएससी, केवीएस, एनवीएस, डीएसएसएसबी, एचपीएससी, एचटीईटी, आरटीईटी, यूपीपीसीएस, बीपीएससी जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए शैलिकी की संकल्पना का ज्ञान महत्वपूर्ण है। शैलिकी हमें यह समझने में मदद करती है कि चट्टानों का निर्माण, उनके प्रकार और उनके परिवर्तनों के पीछे क्या कारण हैं। यह […]
एकरूपतावाद की संकल्पना (Concept of Uniformitarianism)
एकरूपतावाद (Uniformitarianism) भूआकृति विज्ञान की एक प्रमुख संकल्पना है, जो यह बताती है कि वर्तमान में पृथ्वी की सतह पर होने वाली भूगर्भिक प्रक्रियाएँ और नियम पूरे भूगर्भिक इतिहास में समान रूप से कार्यरत रहे हैं। जेम्स हटन, जिन्हें ‘भूविज्ञान का पिता’ कहा जाता है, ने इस सिद्धांत को पहली बार प्रस्तुत किया था।
भूआकृति विज्ञान:परिभाषा,प्रकृति एवं विषयक्षेत्र (Geomorphology: Definition, Nature and Scope)
भूआकृति विज्ञान:परिभाषा,प्रकृति एवं विषयक्षेत्र (Geomorphology: Definition, Nature and Scope) भूआकृति विज्ञान का अर्थ जैसा कि हम जानते हैं भौतिक भूगोल के प्रमुख चार संघटकों के अध्ययन करने वाले विषय को अलग-अलग विज्ञान के नाम से सम्बोधित किया जाता है जैसे स्थलमण्डल का अध्ययन करने वाले विज्ञान को भूआकृति विज्ञान, सागर तथा महासागर या जलमण्डल का […]
भूमिगत जल: अर्थ, स्त्रोत तथा विभिन्न मण्डल (Ground water: Meaning, Sources and different Zones)
“जानें भूमिगत जल का अर्थ, स्त्रोत, और इसके विभिन्न मण्डलों की विशेषताएँ। इस लेख में हम समझाएंगे कैसे भूमिगत जल चट्टानों में संग्रहित होता है, इसके प्रमुख स्रोत कौन से हैं, और विभिन्न मण्डलों का वर्गीकरण।”
21 जून का दिन बड़ा क्यों होता है? जानें इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण
ग्रीष्म संक्रांति का अर्थ है “गर्मियों का प्रारंभ”। 21 जून को ग्रीष्म संक्रांति (Summer Solstice) के रूप में जाना जाता है क्योंकि इस दिन पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर सबसे अधिक झुका होता है। इस कारण सूर्य की किरणें सीधे कर्क रेखा (23.5 डिग्री उत्तरी अक्षांश) पर पड़ती हैं, जिससे दिन की लंबाई सबसे अधिक होती है।
क्या होता है सुपर मून, ब्लू मून और ब्लड मून (What is Super Moon, Blue Moon and Blood Moon)
क्या आपने कभी रात के आसमान में एक विशेष चांद को चमकते हुए देखा है और सोचा है कि यह सामान्य से अधिक चमकीला या बड़ा क्यों है? यह सुपर मून हो सकता है। और क्या आपने किसी महीने में दो बार पूर्णिमा देखी है? इसे ब्लू मून कहा जाता है।
डेविस का ढाल पतन सिद्धान्त (Slope Decline Theory by Davis)
डेविस महोदय ने ही ढालों के विकास में चक्रीय व्यवस्था को प्रतिपादित किया था। इनके अनुसार अपरदन चक्र की युवावस्था में नदी द्वारा निम्नवर्ती अर्थात् लम्बवत अपरदन तथा अपक्षय के कारण तीव्र उत्तल ढाल का विकास होता है। इस अवस्था में ढाल का निवर्तन कम होता है तथा पतन बिल्कुल नहीं होता है।
ढालों का वर्गीकरण (Classification of Slopes)
कुछ विद्वान सरलीकरण के लिए ढालों को क्लिफ ढाल, उत्तल, अवतल, सरल रेखी ढाल इत्यादि प्रकारों में विभाजित कर लेते हैं तथा जब इनमें से एक से अधिक ढाल एक साथ मिलते हैं तो उनको संयुक्त ढाल (composite slope) कहते हैं। यह विभाजन न्यायसंगत नहीं है, क्योंकि ये ढाल के प्रकार न होकर उनके तत्त्व या अंग होते हैं।
अपवाह तंत्र: अर्थ तथा प्रमुख अपवाह तंत्र (Drainage System: Meaning and Major Drainage Systems)
अपवाह तंत्र (drainage system) का संबंध सरिताओं की उत्पत्ति तथा उनके समय के साथ विकास से होता है जबकि अपवाह प्रतिरूप का संबंध किसी क्षेत्र विशेष की सरिताओं के ज्यामितीय रूप तथा स्थानिक व्यवस्था (spatial arrangement) से होता है।
ढाल का अर्थ, महत्त्व एवं तत्त्व (Meaning, Importance and Elements of Slope)
ढाल धरातल पर पाए जाने वाले स्थलस्वरूपों के प्रमुख अंग हैं, जो कि पहाड़ी तथा घाटी के मध्य उपरिमुखी या अधोमुखी झुकाव होते हैं। इनका आकार अवतल, उत्तल, सरल रेखी (rectilinear), मुक्त पृष्ठ (free face) या तीव्र दीवालनुमा हो सकता है। समतल मैदानी भाग को छोड़कर ढाल सभी जगह देखे जा सकते हैं तथा पहाड़ी भागों में इनका विकास सर्वाधिक होता है।
डेली का महाद्वीपीय फिसलन सिद्धान्त (Sliding Continent Theory of Daly)
डेली महोदय ने बताया कि पृथ्वी की उत्पत्ति के बाद शीघ्र ही मौलिक तरल पृथ्वी के ऊपर एक पपड़ी के रूप में परिवर्तित हो गया, जिसे उन्होंने आद्य पपड़ी (primitive crust) बताया है। भूमध्यरेखा तथा ध्रुवों के पास कठोर स्थलखण्ड थे, जिन्हें डेली ने भूमध्यरेखीय तथा ध्रुवीय गुम्बद बताया है।
जेफ्रीज का तापीय संकुचन सिद्धान्त (Thermal Contraction Theory of Jeffreys)
जेफ्रीज के अनुसार पृथ्वी में कई सकेन्द्रीय परतें (concentric shells) पायी जाती हैं। पृथ्वी के ठंडा होने की क्रिया परत के रूप में होती है, परन्तु धरातल से 700 किमी० की गहराई तक ही तापमान में कमी के कारण पृथ्वी ठंडी होती है। धरातल में 700 किमी० के बाद वाला भाग (केन्द्र तक) इस परिवर्तन से अप्रभावित रहता है।