पार्वती घाटी: वैली ऑफ डेथ | पर्यटन स्थल
जानिए भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश में स्थित पार्वती घाटी के बारे में। क्यों इसे वैली ऑफ डेथ कहा जाता है तथा यहां कौन-2 से दर्शनीय स्थल हैं।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की स्थापना 1875 में हुई थी और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। IMD मौसम पूर्वानुमान, चक्रवात चेतावनी, कृषि मौसम सेवाएँ, जलवायु सेवाएँ और भूकंप विज्ञान जैसी सेवाएँ प्रदान करता है।
कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिजर्व
“हिमाचल प्रदेश के कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिजर्व की अद्वितीय जैव विविधता का अन्वेषण करें। इसके भूगोल, जलवायु, वनस्पति, जीव-जंतु और संरक्षण प्रयासों के बारे में जानें। UGC NET, UPSC, RPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए आदर्श।”
झेलम नदी: एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर
झेलम नदी: ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ी जानकारी, जिसमें इसका ऐतिहासिक महत्व, सांस्कृतिक मूल्य, पर्यावरणीय योगदान, प्रमुख पर्यटन स्थल और संरक्षण चुनौतियाँ शामिल हैं। जानें झेलम नदी के महत्व के बारे में।
सिंधु जल संधि: इतिहास, महत्व और वर्तमान परिदृश्य
सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) भारत और पाकिस्तान के बीच जल वितरण को लेकर हुए सबसे महत्वपूर्ण समझौतों में से एक है। इस संधि के अंतर्गत, सिंधु नदी तंत्र की नदियों के जल के वितरण के लिए नियम और शर्तें निर्धारित की गईं। यह संधि न केवल दोनों देशों के बीच शांति और सहयोग का प्रतीक है, बल्कि इसने दक्षिण एशिया में जल विवादों के निपटारे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारत के जनसंख्या-संसाधन प्रदेश (Population-Resource Regions of India)
भारत को जनसंख्या-संसाधन प्रदेशों में विभक्त करने का महत्वपूर्ण प्रयास कुमारी पी. सेनगुप्ता (1970) ने किया है। उन्होंने जनांकिकीय संरचना (जनसंख्या घनत्व और जनसंख्या वृद्धि दर), संसाधन भंडार और सामाजिक-आर्थिक विकास के स्तर को आधार बनाते हुए सम्पूर्ण भारत को तीन बृहत् श्रेणियों के अंतर्गत कुल 19 जनसंख्या संसाधन प्रदेशों में विभक्त किया है।
बी०एस० गुहा के अनुसार भारतीय प्रजातियों का वर्गीकरण (Classification of Indian species by B.S. Guha)
भारतीय मानवविज्ञान विभाग के पूर्व निदेशक डा० बी०एस० गुहा (B.S. Guha) ने भारतीय मानव प्रजातियों का वर्गीकरण उनके शारीरिक लक्षणों पर वैज्ञानिक तथ्यों का सहारा लेते हुए तार्किक ढंग से प्रस्तुत किया। जिसका प्रकाशन ‘जनसंख्या में प्रजातीय तत्व’ (Racial Elements in the Population) नाम से 1944 में हुआ।
कच्छ का रण (Rann of Kachchh)
गुजरात राज्य के कच्छ जिले में (कुछ भाग पाकिस्तान में भी है) फैला हुआ यह सफेद रेगिस्तान एक विशाल क्षेत्र है, जो थार रेगिस्तान का ही हिस्सा है। रण हिंदी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है रेगिस्तान।
संथाल जनजाति (Santhal Tribe)
संथाल जनजाति मध्य-पूर्वी भारत की सबसे बड़ी, समन्वित व सम्भवतः सबसे लचीली (Resilient) जनजाति है। भारत में इनसे अधिक गतिशील, लड़ाकू (Militant) व सामाजिक मुद्दों के प्रति संवेदनशील और कोई जनजाति नहीं है। शायद इन्हीं कारणों से ये लोग पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर पाए।
मुण्डा जनजाति (Munda Tribe)
मुण्डा लोगों को होरो-होन (Horo-Hon), मुरा (Mura) तथा मंकी (Manki) भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है- गाँव का मुखिया। ये लोग स्वयं को सर्वश्रेष्ठ भगवान् सिंगा-बोंगा के वंशज मानते हैं। इन आरम्भिक लोगों के नाम पर भारत के चार भाषा परिवारों में से एक का नाम मुण्डारी रखा गया है।
डॉ० आर० एल० सिंह के जलवायु प्रदेश (Climatic Regions of Dr. R.L. Singh)
वर्ष 1971 में डॉ० आर० एल० सिंह द्वारा सम्पादित ‘India: A Regional Geography’ नामक पुस्तक प्रकाशित हुई; जिसमें स्टाम्प तथा केण्ड्रयू के संशोधित जलवायु विभाजन को प्रस्तुत किया गया। इस विभाजन में आर० एल० सिंह ने तापमान तथा वर्षा सम्बन्धी आँकड़ों को आधार माना।
डॉ० एल० डी० स्टाम्प के अनुसार भारत के जलवायु प्रदेश (Climatic Regions of India by Dr. L. D. Stamp)
एल० डी० स्टाम्प का विभाजन केण्ड्रयू (W.G. Kendrew) के विभाजन का ही संशोधित रूप है। इसमें स्टाम्प महोदय ने जलवायु प्रदेशों के विभाजन को अधिक तर्कसंगत बना दिया है। सबसे पहले स्टाम्प महोदय ने भारत को जनवरी माह की 18° सेल्सियस की समताप रेखा को आधार मानकर दो बृहत् जलवायु क्षेत्रों में विभाजित किया।
भारत की ऋतुएँ (Seasons of India)
भारतीय मौसम विभाग (India Meteorological Department) ने भारत की वार्षिक जलवायु की अवस्थाओं के आधार पर वर्ष को चार ऋतुओं में बाँटा है
भारत के प्रमुख समुद्री पत्तन (Major Sea Ports in India)
अंग्रेजी का पोर्ट (Port) शब्द लैटिन भाषा के पोर्टा (Porta) शब्द से बना है, जिसका अर्थ प्रवेश द्वार होता है। इसके द्वारा आयात और निर्यात का संचालन होता है। अतः पत्तन को प्रवेश द्वार कहते हैं। पत्तन कई प्रकार के होते हैं – समुद्री पत्तन, नदीय पत्तन और शुष्क पत्तन। शुष्क पत्तन में वायुमार्गों द्वारा संपर्क बनाया जाता है।
रेल परिवहन (Rail Transport)
भारत में प्रथम रेलगाड़ी सन् 1853 में मुंबई तथा थाणे के बीच 34 किमी० की दूरी तक चली। लेकिन रेलों का सही विकास सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई के बाद आरंभ हुआ, जब अंग्रेज़ सरकार ने प्रशासन के लिए रेलों की आवश्यकता को महसूस किया।