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अंतरिक्ष में है 200 टन कचरा (200 tons of Garbage in Space)

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Garbage in Space
अंतरिक्ष में फैले कचरे का प्रतीकात्मक चित्र

अंतरिक्ष में है 200 टन कचरा (200 tons of Garbage in Space)

आज सभी देश विकास की दौड़ में एक दूसरे से आगे निकलने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। इस दौड़ में विकासशील देशों के बीच प्रतियोगिता अधिक देखी जा सकती है। विकासशील देशों में लोगों तक इंटरनेट पहुंचाने, पृथ्वी पर कृषि और जलवायु की निगरानी करने सहित कई जरूरतों को पूरा करने के लिए तेजी से अंतरिक्ष में उपग्रह छोड़े जा रहे हैं। अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मानव समाज अब पृथ्वी से परे अंतरिक्ष और दूसरे ग्रहों तक अपनी पहुंच बना रहा है। जिसके कारण अंतरिक्ष में भीड़ बढ़ती जा रही है। 

उपग्रहों की बढ़ती भीड़ की वजह से अंतरिक्ष में कचरे का अंबार भी लगातार बढ़ रहा है, जिसके लिए जवाबदेही किसी की तय नहीं है। पृथ्वी की कक्षा में निष्क्रिय हुए अंतरिक्ष यान, बेकार राकेट बूस्टर और अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा छोड़ी गई वस्तुएं जैसे दस्ताना, रिंच और टूथब्रश आदि शामिल हैं। इनके अलावा पेंट के टुकड़े जैसे मलवे के छोटे टुकड़े भी शामिल हैं। यह मलबा पृथ्वी के धरातल से सैकड़ों किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में तैर रहा है। अंतरिक्ष विशेषज्ञों ने इस कबाड़ से भविष्य में होने वाले खतरों के प्रति अगाह किया है।

अंतरिक्ष में तैर रहे कचरे से किसको है खतरा?

हमें कबाड़ के छोटे-छोटे टुकड़े शायद कोई बड़ा मुद्दा न लगें लेकिन वह मलबा 24,140  किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घूम रहा है, जो बंदूक से निकली एक गोली से 10 गुना तेज है। उस गति से पेंट का एक टुकड़ा भी एक स्पेससूट में छेद सकता है। टकराव होने की स्थिति में यह किसी उपग्रह या अंतरिक्ष यान को महत्वपूर्ण क्षति पहुंचा सकता है। 

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क्या है केसलर सिंड्रोम (What is the Kessler Syndrome)?

1978 में नासा के विज्ञानी डोनाल्ड केसलर के अनुसार अंतरिक्ष में परिक्रमा कर रहे मलबे के टुकड़ों के बीच टकराव से अधिक मलबा बनता है। इस मलबे की मात्रा तेजी से बढ़ती है, जो संभावित रूप से पृथ्वी के निकट की कक्षा को अनुपयोगी बना सकती है। विशेषज्ञ इसे ‘केसलर सिंड्रोम’ कहते हैं।

आखिर कौन लेगा इस कचरे की जिम्मेवारी

1967 की संयुक्त राष्ट्र अंतरिक्ष संधि में कहा गया कि कोई भी देश चंद्रमा या उसके किसी भी हिस्से का स्वामित्व नहीं कर सकता है और आकाशीय पिंडों का उपयोग केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए उपयोग करेगा। हालांकि संधि में इस बारे में कुछ नहीं बताया गया है कि अंतरिक्ष संसाधनों का उपयोग कैसे किया जा सकता है और कैसे नहीं। 1979 के संयुक्त राष्ट्र चंद्रमा समझौते में माना गया कि चंद्रमा और उसके प्राकृतिक संसाधन मानवता की साझी विरासत हैं। 

हालांकि अमेरिका, रूस और चीन ने इस पर कभी हस्ताक्षर नहीं किए। अंतरिक्ष कबाड़ से जुड़ी किसी व्यस्थित कानून का न होना और अंतरिक्ष अन्वेषण में आगे निकलने की होड़ का मतलब साफ है कि अंतरिक्ष कबाड़ और कचरा जमा होता रहेगा, साथ ही संबंधित समस्याएं और खतरे भी और इसकी जिम्मेदारी कोई नहीं लेगा। 

बढ़ती प्रतिद्वंदिता की वजह से तेजी से बढ़ रही अंतरिक्ष गतिविधियां से संबन्धित आंकड़े

  • वर्तमान में पृथ्वी के सौ मील के दायरे में 7,700 उपग्रह अंतरिक्ष में परिक्रमा कर रहे हैं।
  • 2027 तक इनकी संख्या लाखों तक बढ़ सकती है। 
  • पृथ्वी की कक्षा में 4 इंच से बड़ी लगभग 23,000 वस्तुए हैं।
  • अगले 10 वर्षों में सरकारों और स्पेसएक्सब्लू ओरिजिन जैसी निजी कंपनियों द्वारा 100 से अधिक चंद्र मिशनों की योजना बनाई गई है। 
  •  अंतरिक्ष में मलबा 24,140  किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घूम रहा है।

Reference

दैनिक जागरण 4 सितम्बर, 2023

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