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आज की डिजिटल दुनिया में हम धरती को अंतरिक्ष से देखने और समझने में सक्षम हो चुके हैं। Remote Sensing (रिमोट सेंसिंग) एक ऐसी तकनीक है जो बिना प्रत्यक्ष संपर्क के पृथ्वी की सतह, वातावरण, महासागर और संसाधनों की जानकारी देती है।
लेकिन इस जानकारी को प्राप्त करने के लिए दो मुख्य प्रकार के सेंसिंग सिस्टम होते हैं – Passive Sensing और Active Sensing।
यह ब्लॉग आपको इन दोनों तकनीकों का गहराई से, सरल हिंदी में, उदाहरणों के साथ परिचय देगा।

Passive Sensing क्या है ?
Passive Sensing (निष्क्रिय संवेदन) वह प्रक्रिया है जिसमें सेंसिंग सिस्टम खुद कोई ऊर्जा उत्पन्न नहीं करता। यह प्राकृतिक स्रोतों, विशेष रूप से सूरज की ऊर्जा पर निर्भर करता है।
जब सूरज की रोशनी पृथ्वी की सतह से टकराती है, तो:
- कुछ ऊर्जा सतह द्वारा परावर्तित (Reflected) होती है
कुछ ऊर्जा अवशोषित (Absorbed) होकर बाद में उत्सर्जित (Emitted) होती है (जैसे Thermal Infrared Radiation)
Passive सेंसर्स इन दोनों प्रकार की ऊर्जा को रिकॉर्ड करते हैं।
Passive Sensing की प्रमुख विशेषताएं:
- यह केवल तभी कार्य करता है जब प्राकृतिक प्रकाश या तापीय ऊर्जा उपलब्ध हो।
- दिन में सूरज की रोशनी से दृश्य तरंगें (Visible Wavelengths) परावर्तित होती हैं, जिन्हें सेंसर्स मापते हैं।
- रात में दृश्य प्रकाश नहीं होता, इसलिए Passive sensors इस ऊर्जा को नहीं पकड़ सकते।
- हालांकि, कुछ ऊर्जा जैसे Thermal Infrared Radiation दिन और रात दोनों समय मापी जा सकती है।
Passive Sensing के उदाहरण:
- Landsat सैटेलाइट – भूमि उपयोग, वन क्षेत्र, शहरीकरण आदि की निगरानी करता है।
- MODIS (Moderate Resolution Imaging Spectroradiometer) – वायुमंडलीय, समुद्री और भूमि संबंधी आंकड़े एकत्र करता है।
- Sentinel-2 – यूरोप का सैटेलाइट जो कृषि, वन, जल संसाधनों की जानकारी देता है।
- AVHRR (Advanced Very High Resolution Radiometer) – तापमान और वनस्पति सूचकांक मापता है।
Active Sensing क्या है ?
Active Sensing (सक्रिय संवेदन) वह तकनीक है जिसमें सेंसिंग उपकरण खुद ऊर्जा उत्पन्न करता है और उसे धरती की सतह पर भेजता है। फिर सतह से परावर्तित हुई ऊर्जा को मापकर जानकारी प्राप्त की जाती है।
उदाहरण के लिए, जैसे टॉर्च की रौशनी अंधेरे में वस्तु को रोशन कर देती है – ठीक वैसे ही Active Sensor काम करता है।
Active Sensing की प्रमुख विशेषताएं:
- यह दिन या रात किसी भी समय कार्य कर सकता है।
- मौसम, बादल, वर्षा आदि से प्रभावित नहीं होता।
- सटीक दिशा और ऊर्जा के साथ लक्ष्य को रोशन किया जा सकता है।
- यह माइक्रोवेव जैसी तरंग लंबाइयों में भी काम करता है जो Passive sensing से नहीं मिलतीं।
- हालांकि, इन सेंसर्स को ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है और इनकी लागत भी अधिक होती है।
Active Sensing के उदाहरण:
- SAR (Synthetic Aperture Radar) – भूमि की आकृति, हिमखंडों की गति, बाढ़ क्षेत्रों की पहचान में सहायक।
- LiDAR (Light Detection and Ranging) – पेड़ों की ऊंचाई, इमारतों की संरचना, डिजिटल एलीवेशन मॉडल (DEM) बनाने में उपयोगी।
- Laser Fluorosensor – समुद्री तेल रिसाव या जैविक प्रदूषण की पहचान के लिए।
- Scatterometer – समुद्र की सतह पर हवा की गति और दिशा मापने में प्रयोग।
Passive और Active Sensing में मुख्य अंतर
विशेषता | Passive Sensing | Active Sensing |
ऊर्जा स्रोत | प्राकृतिक (सूरज की रोशनी या पृथ्वी की थर्मल ऊर्जा) | कृत्रिम (सेंसर द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा) |
कार्य समय | केवल जब प्राकृतिक ऊर्जा उपलब्ध हो (मुख्यतः दिन में) | दिन-रात, किसी भी समय |
मौसम की निर्भरता | मौसम और बादलों से प्रभावित | बादल, वर्षा, अंधकार में भी काम करता है |
ऊर्जा की आवश्यकता | कम | अधिक |
लागत | अपेक्षाकृत कम | अधिक |
उदाहरण | MODIS, Landsat, Sentinel | SAR, LiDAR, Scatterometer |
Real Life में कहाँ होता है इनका उपयोग?
कृषि में:
- Passive Sensing से फसल की स्थिति, हरीतिमा (NDVI) और जल आवश्यकता का पता चलता है।
- Active Sensing (LiDAR) से खेत की सतह की ऊंचाई-नीचाई मापी जा सकती है।
आपदा प्रबंधन में:
- बाढ़, भूस्खलन या तूफान के बाद Active Sensors (SAR) से बादलों के आर-पार स्थिति देखी जा सकती है।
- Passive Sensors से सूखे की गंभीरता और वनाग्नि की पहचान होती है।
पर्यावरण निगरानी में:
- Passive Sensors से वायुमंडलीय गैसों और प्रदूषण स्तर का मापन होता है।
- Active Sensors समुद्र में तेल रिसाव और जल की गुणवत्ता की निगरानी में मदद करते हैं।
कौन सी तकनीक है बेहतर – Passive या Active?
दोनों तकनीकों के अपने-अपने फायदे हैं। Passive Sensing सरल और कम लागत में अधिकतर कार्यों के लिए उपयुक्त है, जबकि Active Sensing अधिक सटीक, लचीली और स्वतंत्र जानकारी प्रदान करता है – खासकर रात में या खराब मौसम में।
आधुनिक रिमोट सेंसिंग मिशन इन दोनों तकनीकों का संयोजन करते हैं ताकि डेटा की गुणवत्ता और कवरेज को बढ़ाया जा सके।
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FAQs
Passive Sensing एक ऐसी रिमोट सेंसिंग तकनीक है जिसमें सेंसर सूर्य जैसी प्राकृतिक ऊर्जा का उपयोग करके पृथ्वी की सतह से परावर्तित या उत्सर्जित ऊर्जा को मापते हैं। यह तकनीक दिन के समय दृश्य तरंगों को मापने में सक्षम होती है।
Active Sensing में सेंसर स्वयं ऊर्जा उत्पन्न करता है और उसे लक्ष्य पर भेजता है। यह दिन-रात, किसी भी मौसम में काम कर सकता है और बादलों के आर-पार भी जानकारी एकत्र कर सकता है।
Passive Sensing प्राकृतिक ऊर्जा पर निर्भर करता है, जबकि Active Sensing में सेंसर खुद ऊर्जा उत्पन्न करता है। Passive केवल दिन में दृश्य प्रकाश में काम करता है, जबकि Active दिन-रात, किसी भी समय डेटा इकट्ठा कर सकता है।
SAR (Synthetic Aperture Radar) एक Active Sensor है जो माइक्रोवेव तरंगों का उपयोग करता है, जबकि LiDAR (Light Detection and Ranging) लेज़र आधारित Active Sensor है जो ऊँचाई और संरचना मापने में प्रयोग होता है।
दृश्य प्रकाश मापने वाले Passive Sensors रात में काम नहीं करते, लेकिन Thermal Infrared Radiation जैसी उत्सर्जित ऊर्जा को मापने वाले Passive Sensors रात में भी डेटा रिकॉर्ड कर सकते हैं।