Estimated reading time: 7 minutes
Table of contents
इस लेख में आप भारत में शहरीकरण (Urbanization in India) के कारण, नकारात्मक प्रभावों एवं समाधानों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों लोग गांवों को छोड़कर शहरों की ओर जा रहे हैं और शहर भीड़ से भरते जा रहे हैं? यह सब हो रहा है बढते हुए शहरीकरण के कारण जो एक ऐसी प्रक्रिया है जो भारत के सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय परिदृश्य को तेज़ी से बदल रही है। लेकिन इसके पीछे के कारण, इसके प्रभाव और इसके समाधान को समझना बेहद ज़रूरी है।

शहरीकरण क्या है?
शहरीकरण की परिभाषा
शहरीकरण (Urbanization) वह प्रक्रिया है जिसमें लोग ग्रामीण इलाकों से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन करते हैं और वहां बस जाते हैं। यह आमतौर पर बेहतर जीवनशैली, रोजगार के अवसर, और बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता के कारण होता है। यह केवल जनसंख्या के भौगोलिक परिवर्तन को ही नहीं दर्शाता है, बल्कि सामाजिक ढांचे, जीवनशैली और अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव लाता है।
भारत में शहरीकरण की वर्तमान स्थिति
भारत विश्व के सबसे तेज़ी से शहरीकरण करने वाले देशों में से एक है। 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की लगभग 35.4% आबादी अब शहरों में रहती है। McKinsey Global Institute की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक भारत के 68 शहरों में 10 लाख से अधिक की जनसंख्या होगी। इससे यह स्पष्ट होता है कि आने वाले वर्षों में शहरीकरण की गति और तेज़ होगी।
भारत में शहरीकरण, 1901–2021 (Urbanization in India) | ||||
वर्ष | कुल शहरी जनसंख्या (करोड़ में) | शहरी जनसंख्या (%) | वार्षिक वृद्धि दर (%) | निरपेक्ष वृद्धि (करोड़ में) |
1901 | 2.6 | 10.80% | – | (आधार वर्ष) |
1911 | 2.6 | 10.30% | 0.34 | 0.01 |
1921 | 2.8 | 11.20% | 0.35 | 0.01 |
1931 | 3.3 | 12.00% | 1.75 | 0.14 |
1941 | 4.4 | 13.90% | 2.12 | 0.23 |
1951 | 6.2 | 17.30% | 3.47 | 0.63 |
1961 | 7.9 | 18.00% | 2.34 | 0.52 |
1971 | 10.9 | 20.20% | 3.22 | 1.01 |
1981 | 15.9 | 23.30% | 3.79 | 1.62 |
1991 | 21.8 | 25.70% | 3.09 | 2.13 |
2001 | 28.6 | 27.80% | 2.73 | 2.94 |
2011 | 37.7 | 31.20% | 2.76 | 4.1 |
2021* | ~48.0 (अनुमानित) | ~34.5% (अनुमानित) | ~2.50 | ~5.50 |
Source: Census of India (1901-2011) and World Bank/UN |
भारत में शहरीकरण के मुख्य कारण (Major Causes of Urbanization in India)
1. औद्योगिकीकरण और नौकरियों की तलाश
औद्योगिकीकरण भारत में शहरीकरण का सबसे बड़ा कारण है। जैसे-जैसे शहरों में फैक्ट्रियां, आईटी कंपनियां और निर्माण कार्य बढ़े, वैसे-वैसे रोजगार के अवसर भी उत्पन्न हुए। उदाहरण के तौर पर, बेंगलुरु को ‘India’s Silicon Valley’ कहा जाता है, जहां लाखों लोग देश के कोने-कोने से नौकरी की तलाश में आते हैं। 2023 की NASSCOM रिपोर्ट के अनुसार, भारत के IT सेक्टर ने अकेले 50 लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार दिया है।
2. कृषि में आय की कमी और ग्रामीण संकट
ग्रामीण भारत लंबे समय से कृषि संकट से जूझ रहा है। जलवायु परिवर्तन, मानसून की अनिश्चितता, कर्ज़ में डूबे किसान और MSP से जुड़ी समस्याएं किसानों को मजबूर करती हैं कि वे कृषि छोड़कर शहरों का रुख करें। National Sample Survey (2019) के अनुसार, 52% से अधिक किसानों की आय उनकी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाती, जिससे पलायन की प्रवृत्ति बढ़ी है।
3. बुनियादी सुविधाओं की तलाश
शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, पीने का साफ पानी, इंटरनेट, और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं अभी भी ग्रामीण भारत में सीमित हैं। UNICEF और WHO की रिपोर्ट बताती है कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 25% लोगों के पास शुद्ध पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। इसलिए लोग बेहतर जीवन की तलाश में शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन करते हैं।
4. सरकारी योजनाएं और शहरी विकास
भारत सरकार की योजनाएं जैसे – स्मार्ट सिटी मिशन, अमृत योजना, और प्रधानमंत्री आवास योजना – शहरों में जीवन स्तर को सुधारने के लिए बनाई गई हैं। इन योजनाओं के तहत बेहतर सड़कें, सीवरेज, हाउसिंग और वाई-फाई सुविधा जैसी बुनियादी ढांचों का विकास किया गया है, जो लोगों को शहरों की ओर आकर्षित करता है। 2023 में शहरी क्षेत्र में ₹1.8 लाख करोड़ का निवेश किया गया।
5. सामाजिक और सांस्कृतिक आकर्षण
शहरों की रंगीन और गतिशील जीवनशैली, फैशन, कैफे संस्कृति, और मनोरंजन विकल्पों की भरमार युवा पीढ़ी को आकर्षित करती है। Reel culture और सोशल मीडिया ने भी शहरों को एक ग्लैमरस जगह के रूप में पेश किया है, जिससे युवाओं का झुकाव शहरी जीवन की ओर बढ़ता है।
शहरीकरण के नकारात्मक प्रभाव (Negative effects of Urbanization in India)
1. झुग्गी-बस्तियों का फैलाव
तेज़ शहरीकरण के कारण शहरों की जनसंख्या बेतहाशा बढ़ रही है, जिससे रहने की जगह कम होती जा रही है। परिणामस्वरूप, झुग्गी-बस्तियां बढ़ रही हैं। UN-Habitat की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 6.5 करोड़ लोग स्लम एरिया में रहते हैं। इन क्षेत्रों में स्वच्छता, स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधाएं लगभग नहीं के बराबर हैं।
2. ट्रैफिक जाम और प्रदूषण
शहरों में वाहनों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि ने ट्रैफिक की समस्या को जन्म दिया है। इससे समय की बर्बादी और वायु प्रदूषण में भारी इजाफा हुआ है। 2024 में दिल्ली का AQI कई बार 400+ को पार कर गया। The Energy and Resources Institute (TERI) के अनुसार, शहरी भारत के 70% प्रदूषण का कारण वाहन हैं।
3. बुनियादी ढांचे पर दबाव
अस्पताल, स्कूल, पानी की आपूर्ति, सीवरेज और ट्रांसपोर्ट जैसे बुनियादी ढांचों पर जनसंख्या वृद्धि का सीधा असर पड़ता है। शहरों में तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण इन सेवाओं की गुणवत्ता में गिरावट देखी गई है।
4. सामाजिक विषमता और अपराध
शहरों में अमीर और गरीब के बीच की खाई बढ़ रही है। बेरोजगारी, गरीबी और निराशा अपराध दर को बढ़ावा देते हैं। NCRB के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में शहरी क्षेत्रों में अपराध दर ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में 1.7 गुना अधिक थी।
5. पर्यावरणीय संकट
हरियाली घट रही है, जलाशय सूख रहे हैं और बेतरतीब निर्माण कार्यों से पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ रहा है। IPCC रिपोर्ट (2023) के अनुसार, भारतीय शहरों में तापमान औसत से 1.5°C अधिक हो गया है, जिससे हीटवेव और जल संकट की स्थिति बन रही है।
सरकार और समाज की पहलें
स्मार्ट सिटी मिशन
2015 में शुरू हुई यह योजना भारत के 100 शहरों को स्मार्ट, टिकाऊ और नागरिकों के लिए रहने योग्य बनाने की कोशिश कर रही है। इसमें डिजिटल इंडिया, सोलर एनर्जी, ई-गवर्नेंस और स्मार्ट ट्रैफिक सॉल्यूशन पर ज़ोर दिया गया है। 2024 तक 70% परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।
अमृत योजना
अटल मिशन फॉर रेजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (AMRUT) योजना के तहत शहरी क्षेत्रों में जल आपूर्ति, सीवरेज नेटवर्क और हरित स्थानों का विकास किया जा रहा है। अब तक 4,000 से अधिक शहरी परियोजनाएं लागू की जा चुकी हैं।
आवास योजना
‘प्रधानमंत्री आवास योजना – शहरी’ (PMAY-U) के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए किफायती आवास बनाए जा रहे हैं। 2024 तक 1.2 करोड़ घर स्वीकृत किए जा चुके हैं। यह योजना झुग्गियों की समस्या को कम करने में सहायक रही है।
एनजीओ और नागरिक प्रयास
Goonj, Pratham, और Shelter Associates जैसे संगठन झुग्गी-बस्तियों में शिक्षा, स्वच्छता और पुनर्वास के लिए ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे हैं। नागरिक स्वयंसेवकों और स्टार्टअप्स का योगदान भी उल्लेखनीय है।
समाधान और भविष्य की राह
1. ग्रामीण विकास पर ध्यान
शहरीकरण को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। यदि गांवों को स्वावलंबी और सुविधाजनक बनाया जाए, तो लोग वहां से पलायन नहीं करेंगे।
2. योजनाबद्ध शहरीकरण
शहरों का योजनाबद्ध विकास बेहद आवश्यक है, जिससे बेतरतीब निर्माण और झुग्गियों से बचा जा सके। Land Use Planning, Transit-Oriented Development (TOD), और Green Urbanism जैसे कॉन्सेप्ट अपनाए जाने चाहिए।
3. हरित तकनीक और स्मार्ट समाधान
सोलर एनर्जी, ई-वाहन, वर्षा जल संचयन और ग्रीन बिल्डिंग जैसी तकनीकें शहरी जीवन को टिकाऊ बना सकती हैं। यह न केवल पर्यावरण को बचाएंगी, बल्कि जीवन स्तर भी बेहतर करेंगी।
4. शिक्षा और जनजागरूकता
लोगों को पर्यावरणीय मुद्दों, स्वच्छता और सामुदायिक सहभागिता के महत्व को समझाना होगा। स्कूली शिक्षा में शहरी चुनौतियों और नागरिक कर्तव्यों को शामिल करना फायदेमंद रहेगा।
निष्कर्ष: क्या शहरीकरण वरदान है या अभिशाप?
शहरीकरण भारत की विकास यात्रा का एक अनिवार्य हिस्सा है, लेकिन यह तब तक वरदान नहीं बन सकता जब तक इसे योजनाबद्ध, समावेशी और पर्यावरण-संवेदनशील तरीके से न अपनाया जाए। हमें मिलकर प्रयास करना होगा कि शहर केवल कंक्रीट के जंगल न बनें, बल्कि रहने योग्य, सुरक्षित और खुशहाल स्थान बनें।
अगर आपको भारत में शहरीकरण (Urbanization in India) पर लिखा यह लेख पसंद आया, तो इसे शेयर करें और हमारे ब्लॉग Geogyan.in से जुड़े रहें – जहां हर विषय होता है सरल, रोचक और तथ्यपूर्ण!