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इस लेख में आप प्रवास का वैश्विक स्वरूप (World Pattern of Migration) के साथ-2 वर्तमान में प्रवास की प्रवृतियों के बारे में भी जानेंगे।
मनुष्य के इतिहास की शुरुआत से ही लोग नए अवसरों, संसाधनों या सुरक्षा की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर प्रवास करते रहे हैं। प्रवास न केवल सामाजिक और आर्थिक बदलावों का कारण बना है, बल्कि इससे पूरी दुनिया की जनसंख्या संरचना पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
संयुक्त राष्ट्र की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व की कुल जनसंख्या का लगभग 3.6% (लगभग 28 करोड़ लोग) प्रवासी हैं जो अपने जन्म स्थान से बाहर किसी अन्य देश में रहते हैं।

यूरोपीय प्रवासन (European Migration)
प्रारंभिक समुद्री खोजें और उपनिवेशवाद की शुरुआत
17वीं शताब्दी में जब यूरोप में औद्योगिक क्रांति शुरू हुई, तब वहां की तेजी से बढ़ती जनसंख्या और सीमित संसाधनों ने लोगों को नए क्षेत्रों की तलाश में समुद्र पार भेजा। नई समुद्री खोजों जैसे वास्को-दा-गामा का भारत आगमन (1498), कोलंबस की अमेरिका यात्रा (1492) इत्यादि ने दुनिया को जोड़ने का रास्ता खोला।
1600 से 1900 के बीच अनुमानतः 6 करोड़ यूरोपीय लोग प्रवास कर चुके थे।
उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों की ओर प्रवास
यूरोपियों ने सबसे पहले उष्ण व उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों की ओर प्रवास करना शुरू किया। यहाँ जलवायु अनुकूल थी और भूमि उपजाऊ। उन्होंने इन क्षेत्रों में कपास, गन्ना, कॉफी, चाय, तम्बाकू, नील और मसालों की खेती को बढ़ावा दिया।
- शुरुआत में श्रमिकों की संख्या कम थी, इसलिए यूरोपीय श्रमिकों को ही इस्तेमाल किया गया, लेकिन धीरे-धीरे श्रमिकों की भारी मांग के कारण अफ्रीका से दासों को लाकर इन बागानों में काम कराया गया।
दास व्यापार 16वीं से 19वीं शताब्दी तक चलता रहा, जिसमें अनुमानतः 1.4 करोड़ अफ्रीकी अमेरिका में भेजे गए।
शीतोष्ण घास के मैदानों की ओर प्रवास
यूरोपीय लोगों ने उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, दक्षिणी अफ्रीका, साइबेरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे विरल आबादी वाले शीतोष्ण क्षेत्रों की ओर प्रवास किया।
1830 से 1920 के बीच यूरोप की लगभग 20% जनसंख्या प्रवास कर चुकी थी।
- अमेरिका में अधिकांश प्रवासी ब्रिटेन, आयरलैंड, जर्मनी और स्कैंडेनेवियन देशों से थे।
- 1900 तक, अमेरिका की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा यूरोपीय मूल का हो गया था।
- ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में शुरुआती प्रवासी लगभग 90% ब्रिटिश थे।
दक्षिण अफ्रीका में डच (बूर) और ब्रिटिश प्रवासी प्रमुख थे।
अफ्रीकी प्रवास (African Migration)
बाध्य दास प्रवास (Forced Migration)
अफ्रीकी प्रवास का सबसे बड़ा और कष्टदायक अध्याय दास व्यापार है।
अकेले 16वीं से 19वीं शताब्दी के बीच, 1.4 करोड़ से अधिक अफ्रीकी पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को जबरन दास बनाकर अमेरिका के बागानों में ले जाया गया।
उन्हें बेहद अमानवीय हालात में रखा जाता था। इनमें मृत्यु दर बहुत अधिक थी, जिससे अफ्रीका के कई इलाकों में युवा पुरुषों की भारी कमी हो गई।
औपनिवेशिक काल में एशियाई प्रवासी
19वीं शताब्दी में, अंग्रेजों ने भारत, चीन व अन्य एशियाई देशों से श्रमिकों को अफ्रीका में लाकर बागानों, रेल परियोजनाओं व निर्माण कार्यों में लगाया।
उदाहरण: उगांडा रेलवे में हजारों भारतीयों ने काम किया था।
आज के केन्या, दक्षिण अफ्रीका, तंज़ानिया जैसे देशों में एशियाई मूल के लोग बड़ी संख्या में बसे हैं।
राजनीतिक कारणों से आंतरिक प्रवास
- 1970 के दशक में अंगोला, मोजाम्बिक, युगांडा जैसे देशों में राजनीतिक अस्थिरता के चलते पुर्तगाली और भारतीय मूल के लोगों को वापस यूरोप या भारत लौटना पड़ा।
- 1972 में, ईदी अमीन ने 80,000 एशियाई लोगों को युगांडा से निकाल दिया था।
एशियाई प्रवास (Asian Migration)
दक्षिण-पूर्व एशिया की ओर
एशिया से मुख्यतः चीन और भारत के लोगों ने 19वीं और 20वीं शताब्दी में प्रवास किया। चीनी लोग दक्षिण-पूर्व एशिया में रोपण कृषि और व्यापार में लगे।
मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर में बड़ी संख्या में चीनी मूल के लोग बसे हैं।
भारतीयों ने श्रीलंका, मलेशिया, म्यांमार, फिजी और मॉरिशस में प्रवास किया। आज मॉरिशस की 70% आबादी भारतीय मूल की है।
पश्चिम एशिया (Middle East)
1970 के दशक में तेल की खोज के बाद खाड़ी देशों में निर्माण और सेवाओं में श्रमिकों की भारी मांग बढ़ी।
आज लगभग 1 करोड़ से अधिक भारतीय खाड़ी देशों में काम कर रहे हैं।
मुख्य देश: यूएई, सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन, कतर, ओमान
राजनीतिक प्रवास
- 1950 के बाद कोरिया से जापान की ओर प्रवास।
- 1975 के बाद वियतनाम, कम्बोडिया से अमेरिका की ओर “बोट पीपल” के रूप में प्रवास।
- 1970 के दशक में ईदी अमीन द्वारा भारतीय मूल के लोगों को युगांडा से निष्कासन।
- 1990 के खाड़ी युद्ध, अफगान युद्ध, इराक युद्ध के चलते लाखों लोग प्रवासित हुए।
हालिया प्रवास की प्रवृत्तियाँ
आधुनिक शरणार्थी और विस्थापन
- बांग्लादेश से चकमा शरणार्थी भारत में आ रहे हैं।
- श्रीलंका से तमिल प्रवासी भारत लौटे।
- सीरिया, यमन, अफगानिस्तान जैसे देशों से लाखों लोग यूरोप की ओर पलायन कर रहे हैं।
2022 तक, विश्व में कुल शरणार्थियों की संख्या 10 करोड़ से अधिक हो चुकी थी।
भारत और प्रवासन
भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्रवासी भेजने वाला देश है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट (2020) के अनुसार, भारत के लगभग 1.8 करोड़ लोग विदेशों में बसे हैं।
- इन भारतीय प्रवासियों का सबसे बड़ा हिस्सा खाड़ी देशों, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, और दक्षिण अफ्रीका में है।
- ये प्रवासी हर साल 80 अरब डॉलर से अधिक की विदेशी मुद्रा (Remittance) भारत भेजते हैं, जो दुनिया में सबसे अधिक है।
निष्कर्ष
प्रवास केवल जनसंख्या का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनैतिक प्रक्रिया है, जिसने आधुनिक विश्व को आकार दिया है। आज की वैश्विक दुनिया में प्रवास एक सतत और महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो आने वाले समय में और भी तीव्र रूप से बढ़ेगा।
विश्व में 10 सर्वाधिक कुल जनसंख्या में प्रवासियों का प्रतिशत रखने वाले देश
क्रम संख्या | देश का नाम | कुल जनसंख्या में प्रवासियों का प्रतिशत | कुल जनसंख्या (मिलियन में) | विशेष तथ्य |
1 | संयुक्त अरब अमीरात | 88% | 9.9 | यहाँ की अधिकांश जनसंख्या दक्षिण एशिया से आई है; कुल प्रवासियों में 59.4%। |
2 | क़तर | 77% | 2.9 | कुल जनसंख्या में लगभग 75% पुरुष हैं, जो प्रवासी श्रमिकों के कारण है। |
3 | कुवैत | 73% | 4.3 | तेल और निर्माण कार्यों में विदेशी श्रमिकों पर अत्यधिक निर्भरता। |
4 | बहरीन | 55% | 1.7 | अपने पड़ोसी खाड़ी देशों की तुलना में सामाजिक रूप से अधिक उदार। |
5 | ओमान | 46% | 5.1 | विदेशी श्रमिकों पर निर्भरता कम करने के लिए श्रम सुधार किए गए हैं। |
6 | सिंगापुर | 43% | 5.7 | एक वैश्विक वित्तीय केंद्र जो विश्वभर से पेशेवरों को आकर्षित करता है। |
7 | सऊदी अरब | 39% | 34.8 | मध्य पूर्व में सबसे अधिक प्रवासियों की संख्या वाला देश। |
8 | जॉर्डन | 34% | 10.2 | पड़ोसी युद्धग्रस्त देशों से शरणार्थियों की बड़ी संख्या को शरण दी है। |
9 | ऑस्ट्रेलिया | 30% | 25.7 | एक अंक आधारित आव्रजन प्रणाली के लिए जाना जाता है जो कुशल प्रवासियों को बढ़ावा देता है। |
10 | स्विट्ज़रलैंड | 29% | 8.7 | मजबूत अर्थव्यवस्था और तटस्थता के कारण विविध प्रवासी जनसंख्या को आकर्षित करता है। |
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