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सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) भारत और पाकिस्तान के बीच जल संसाधनों के वितरण को लेकर किए गए सबसे महत्वपूर्ण समझौतों में से एक है। यह संधि, जो 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से संपन्न हुई, दोनों देशों के बीच जल विवादों को सुलझाने के लिए एक स्थायी ढांचा प्रदान करती है। इस संधि के तहत, सिंधु नदी तंत्र की नदियों के जल वितरण के लिए स्पष्ट नियम और शर्तें निर्धारित की गईं। यह लेख विशेष रूप से उन छात्रों के लिए है जो B.A., M.A., UGC-NET, UPSC, RPSC, KVS, NVS, DSSSB, HPSC, HTET, RTET, UPPCS, और BPSC जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। इसमें सिंधु जल संधि के इतिहास, महत्व, और वर्तमान परिदृश्य पर विस्तृत चर्चा की जाएगी, जो आपकी तैयारी में सहायक साबित हो सकती है।

Table of contents
परिचय
सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) भारत और पाकिस्तान के बीच जल वितरण को लेकर हुए सबसे महत्वपूर्ण समझौतों में से एक है। इस संधि के अंतर्गत, सिंधु नदी तंत्र की नदियों के जल के वितरण के लिए नियम और शर्तें निर्धारित की गईं। यह संधि न केवल दोनों देशों के बीच शांति और सहयोग का प्रतीक है, बल्कि इसने दक्षिण एशिया में जल विवादों के निपटारे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस लेख में हम सिंधु जल संधि के इतिहास, महत्व, और वर्तमान परिदृश्य पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) का इतिहास
सिंधु जल संधि की पृष्ठभूमि 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय से ही शुरू होती है। विभाजन के बाद, सिंधु नदी तंत्र की नदियाँ भारत और पाकिस्तान के बीच बहती थीं, जिससे जल वितरण को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ। 16 सितम्बर 1960 के दिन विश्व बैंक की मध्यस्थता से भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए गए। इस संधि के अंतर्गत, सिंधु नदी तंत्र की छह नदियों का जल वितरण भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजित किया गया। इस समझौते के प्रावधानों के अनुसार सिंधु नदी के कुल पानी का केवल 20% का उपयोग भारत द्वारा किया जा सकता है।
संधि की शर्तें
सिंधु जल संधि के तहत छह नदियों को दो भागों में बांटा गया: पूर्वी नदियाँ और पश्चिमी नदियाँ। पूर्वी नदियाँ (रावी, ब्यास, और सतलुज) भारत को मिलीं, जबकि पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम, और चिनाब) पाकिस्तान को। इस संधि के तहत, भारत पूर्वी नदियों के जल का पूरा उपयोग कर सकता है, जबकि पश्चिमी नदियों का अधिकांश जल पाकिस्तान को देना होता है, हालांकि भारत कुछ विशेष परिस्थितियों में पश्चिमी नदियों से जल का सीमित उपयोग कर सकता है।
ये नदियाँ प्रतिवर्ष लगभग 33 मिलियन एकड़ फीट (MAF) पानी प्रवाहित करती हैं, जिसे भारत बिना किसी रोक-टोक के उपयोग कर सकता है।
पाकिस्तान को सिंधु नदी प्रणाली से कुल जल का लगभग 80% प्राप्त होता है, जो लगभग 135 मिलियन एकड़ फीट (या 99 अरब घन मीटर) है। इसमें भारत को केवल गैर-उपभोग (non-consumptive) उपयोग, जैसे जलविद्युत उत्पादन, की सीमित अनुमति है।
भारत को शेष 20% जल, मुख्यतः पूर्वी नदियों से प्राप्त होता है।
सिंधु जल संधि और पाकिस्तान की निर्भरता:
- पाकिस्तान की लगभग 80% कृषि योग्य भूमि, जो लगभग 1.6 करोड़ हेक्टेयर में फैली है, पूरी तरह सिंधु नदी प्रणाली के जल पर निर्भर है।
- इसमें से 93% जल कृषि कार्यों में उपयोग होता है, जो पाकिस्तान की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
- सिंधु बेसिन में 23.7 करोड़ से अधिक लोग निवास करते हैं, जिनमें से लगभग 61% पाकिस्तान में रहते हैं।
- कराची, लाहौर और मुल्तान जैसे प्रमुख शहरी केंद्र जल आपूर्ति के लिए इस प्रणाली पर निर्भर हैं।
टरबेला और मंगला जैसे प्रमुख जलविद्युत संयंत्र इन्हीं नदियों की निर्बाध जलधारा से चलते हैं।
सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) का महत्व
सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता है जिसने दोनों देशों के बीच जल विवादों को सुलझाने में मदद की है। यह संधि न केवल भारत और पाकिस्तान के बीच सहयोग का प्रतीक है, बल्कि इसने दक्षिण एशिया में जल प्रबंधन के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। इस संधि के माध्यम से दोनों देशों ने जल संसाधनों का समुचित और न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित किया है, जिससे दोनों देशों की कृषि और आर्थिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। सलाल तथा दुलहस्ती परियोजनाओं (चेनाब नदी) के लिए भारत तथा पाकिस्तान के बीच हुआ समझौता दोनों देशों के बीच सहयोग का उत्तम उदाहरण है।
वर्तमान परिदृश्य
वर्तमान में सिंधु जल संधि कई चुनौतियों का सामना कर रही है। जलवायु परिवर्तन और बढ़ती जनसंख्या के कारण जल की मांग में वृद्धि हुई है, जिससे संधि के प्रावधानों पर दबाव बढ़ा है। इसके अलावा, भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक तनाव के कारण भी संधि के तहत जल वितरण को लेकर विवाद उत्पन्न हो रहे हैं। हाल ही में, भारत ने संधि के प्रावधानों के तहत पश्चिमी नदियों से जल का अधिकतम उपयोग करने की योजना बनाई है, जिससे पाकिस्तान में चिंता बढ़ गई है।
सिंधु जल संधि और भारत
भारत ने सिंधु जल संधि के तहत अपने अधिकारों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया है। पूर्वी नदियों के जल का उपयोग करके भारत ने अपने उत्तरी क्षेत्रों में सिंचाई और जलविद्युत परियोजनाओं का विकास किया है। हालांकि, पश्चिमी नदियों से जल के सीमित उपयोग के कारण भारत को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है, खासकर जम्मू-कश्मीर और पंजाब के क्षेत्रों में। वर्तमान में भारत पश्चिमी नदियों के जल का अधिकतम उपयोग करने के लिए नई परियोजनाओं पर काम कर रहा है।
सिंधु जल संधि और पाकिस्तान
पाकिस्तान की जल आवश्यकताओं का एक बड़ा हिस्सा सिंधु नदी तंत्र पर निर्भर है, खासकर पश्चिमी नदियों से आने वाले जल पर। सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों का जल मिलने से उसकी कृषि और सिंचाई व्यवस्था संचालित होती है। हालांकि, भारत की नई योजनाओं और परियोजनाओं से पाकिस्तान में जल संकट की चिंता बढ़ गई है, जिसके चलते दोनों देशों के बीच नए विवाद उभर सकते हैं।
सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) के लाभ और हानियाँ
सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) के तहत भारत और पाकिस्तान दोनों को कई लाभ मिले हैं। इस संधि ने जल विवादों को सुलझाने में मदद की है और दोनों देशों के बीच शांति और सहयोग का मार्ग प्रशस्त किया है। इसके अलावा, इस संधि के तहत जल संसाधनों का न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित किया गया है। हालांकि, कुछ सीमाओं और शर्तों के कारण दोनों देशों को कुछ समस्याओं का भी सामना करना पड़ा है, खासकर जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या वृद्धि के कारण बढ़ती जल मांग के संदर्भ में।
निष्कर्ष
सिंधु जल संधि दक्षिण एशिया में जल प्रबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण और सफल उदाहरण है। हालांकि वर्तमान में इस संधि को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, फिर भी यह भारत और पाकिस्तान के बीच जल विवादों को सुलझाने का एक प्रभावी माध्यम बना हुआ है। भविष्य में, जलवायु परिवर्तन और बढ़ती जल मांग के कारण इस संधि के प्रावधानों में कुछ बदलाव और सुधार की आवश्यकता हो सकती है। संधि का महत्व आज भी उतना ही है जितना कि इसके निर्माण के समय था, और यह दोनों देशों के बीच शांति और सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ बना रहेगा।
Test Your Knowledge with MCQs
प्रश्न 1: सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर कब हुए थे ?
a) 1947
b) 1950
c) 1960
d) 1972
प्रश्न 2: सिंधु जल संधि किसकी मध्यस्थता से संपन्न हुई थी?
a) संयुक्त राष्ट्र
b) विश्व बैंक
c) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय
d) भारत सरकार
प्रश्न 3: सिंधु जल संधि के अंतर्गत कितनी नदियाँ शामिल हैं?
a) 3
b) 5
c) 6
d) 7
प्रश्न 4: सिंधु जल संधि के तहत भारत को कौन-सी नदियों का पूर्ण उपयोग करने का अधिकार मिला?
a) सिंधु, झेलम, चिनाब
b) रावी, ब्यास, सतलुज
c) यमुना, गंगा, गोदावरी
d) नर्मदा, तापी, कृष्णा
प्रश्न 5: सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को कौन-सी नदियों का जल उपयोग करने का अधिकार प्राप्त हुआ?
a) रावी, ब्यास, सतलुज
b) यमुना, गंगा, गोदावरी
c) सिंधु, झेलम, चिनाब
d) नर्मदा, तापी, कृष्णा
प्रश्न 6: सिंधु जल संधि के तहत भारत सिंधु नदी तंत्र के कुल जल का कितना प्रतिशत उपयोग कर सकता है?
a) 10%
b) 20%
c) 25%
d) 50%
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सी नदी पूर्वी नदियों में शामिल है जो भारत को सिंधु जल संधि के अंतर्गत मिलीं?
a) सतलुज
b) झेलम
c) चिनाब
d) सिंधु
प्रश्न 8: सिंधु जल संधि के संबंध में कौन-सा देश जल वितरण को लेकर चिंता व्यक्त करता है?
a) बांग्लादेश
b) नेपाल
c) पाकिस्तान
d) श्रीलंका
प्रश्न 9: सिंधु जल संधि के तहत भारत को पश्चिमी नदियों से जल उपयोग करने के लिए कौन-सी स्थितियाँ दी गई हैं?
a) केवल घरेलू उपयोग के लिए
b) केवल कृषि उपयोग के लिए
c) कुछ विशेष परिस्थितियों में सीमित उपयोग
d) कोई भी उपयोग नहीं
प्रश्न 10: सिंधु जल संधि से संबंधित कौन-सी परियोजना भारत और पाकिस्तान के बीच सहयोग का उदाहरण है?
a) दुलहस्ती परियोजना
b) नर्मदा परियोजना
c) कोसी परियोजना
d) सरदार सरोवर परियोजना
उत्तर:
- c) 1960
- b) विश्व बैंक
- c) 6
- b) रावी, ब्यास, सतलुज
- c) सिंधु, झेलम, चिनाब
- b) 20%
- a) सतलुज
- c) पाकिस्तान
- c) कुछ विशेष परिस्थितियों में सीमित उपयोग
- a) दुलहस्ती परियोजना
FAQs
सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुआ एक समझौता है। इसके तहत सिंधु नदी तंत्र की छह नदियों का जल वितरण दोनों देशों के बीच विभाजित किया गया। संधि के अनुसार, पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) का जल भारत को मिला, जबकि पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का अधिकांश जल पाकिस्तान को प्राप्त हुआ। यह संधि जल विवादों के निपटारे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
सिंधु जल संधि के अंतर्गत भारत को पूर्वी नदियाँ – रावी, ब्यास, और सतलुज का जल पूरा उपयोग करने का अधिकार मिला है। इन नदियों के जल से भारत अपने उत्तरी क्षेत्रों में सिंचाई, जलविद्युत उत्पादन, और अन्य परियोजनाओं के लिए जल का उपयोग करता है। वहीं, पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का अधिकांश जल पाकिस्तान को दिया गया है, हालांकि भारत कुछ विशेष परिस्थितियों में इन नदियों से सीमित जल उपयोग कर सकता है।
सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच जल विवादों के निपटारे का एक महत्वपूर्ण समझौता है। इस संधि ने दोनों देशों के बीच जल वितरण को न्यायसंगत तरीके से विभाजित किया, जिससे दोनों देशों की कृषि और आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ। संधि के माध्यम से दोनों देशों ने शांति और सहयोग का मार्ग प्रशस्त किया है। यह संधि दक्षिण एशिया में जल प्रबंधन के लिए एक सफल उदाहरण मानी जाती है और इसका महत्व आज भी बना हुआ है।
वर्तमान में सिंधु जल संधि को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें जलवायु परिवर्तन, बढ़ती जनसंख्या, और जल की बढ़ती मांग प्रमुख हैं। इन कारकों के कारण संधि के प्रावधानों पर दबाव बढ़ गया है। इसके अलावा, भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक तनाव भी संधि के तहत जल वितरण को लेकर विवाद उत्पन्न कर रहा है। हाल ही में, भारत ने पश्चिमी नदियों से जल के अधिकतम उपयोग की योजना बनाई है, जिससे पाकिस्तान में चिंता बढ़ गई है।