प्रसम्भाव्यवाद (Probabilism)
ब्रिटिश भूगोलवेत्ता स्पेट (O.H.K. Spate) ने 1957 में ‘प्रसम्भाव्यवाद’ संकल्पना को प्रतिपादित किया। इस विचारधारा के अनुसार भूतल के विभिन्न भागों की प्राकृतिक दशाओं में विविधता तथा विलक्षणता पायी जाती है। किसी प्रदेश में कोई तत्व मानव के लिए अधिक उपयोगी है तो अन्य क्षेत्र में दूसरा तत्व। मानव के लिए उपयोगी सभी वस्तुएं भूतल के सभी भागों में समानरूप से नहीं पाई जाती है। किसी प्रदेश में कृषि के लिए प्राकृतिक परिस्थिति उपयुक्त है तो किसी प्रदेश में पशुचारण या खनन या औद्योगिक विकास के लिए।
नवनियतिवाद या नवनिश्चयवाद (Neo Determinism)
यह नियतिवाद या पर्यावरणवाद की संशोधित विचारधारा है जो व्यावहारिक जगत् के अधिक समीप है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित होने के कारण इसे वैज्ञानिक नियतिवाद (Scientific determinism) भी कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के मध्य तक अधिकांश भूगोलविदों की आस्था सम्भववाद में होने लगी और जो लोग नियतिवाद में विश्वास रखते थे वे भी प्राचीन नियतिवाद के आलोचक थे और उसके संशोधित तथा वैज्ञानिक स्वरूप पर बल देते थे। प्राचीन नियतिवाद के समर्थक सदैव यह सिद्ध करने में लगे रहे कि मनुष्य पर प्रकृति का नियंत्रण है और मनुष्य प्रकृति का दास है।
सम्भववाद (Possibilism)
सम्भववाद विचराधारा मानव-पर्यावरण के पारस्परिक सम्बंध की व्याख्या में मानव प्रयत्नों तथा क्रियाओं को अधिक महत्व देती है। बीसवीं शताब्दी के पूर्वाद्ध में फ्रांसीसी मानव भूगोलवेताओं ने मनुष्य की स्वतंत्रता तथा उसकी कार्य कुशलता पर जोर दिया और मनुष्य पर प्राकृतिक शक्तियों का नियंत्रण बताने वाले नियतिवाद की कड़ी आलोचनाएं की। सम्भववाद के समर्थकों का मानना था कि मानव भी एक शक्तिशाली कारक है जो अपने क्रिया कलापों द्वारा प्राकृतिक भूदृश्य में परिवर्तन करता है और सांस्कृतिक दृश्यों का निर्माण करता है।