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मानव भूगोल

मानव भूगोल

मानव भूगोल का कार्य क्षेत्र (Scope of Human Geography)

प्रत्येक विषय का अपना दर्शन (philosophy), पद्धति शास्त्र (methodology) एवं कार्यक्षेत्र (scope) होता है। उदाहरण के लिए अर्थशास्त्र का सम्बन्ध मुख्य रूप से वस्तुओं के उत्पादन, संचलन, उपभोग और सेवाओं से, भूगर्भशास्त्र (geology) का सम्बन्ध भू पृष्ठ एवं भूगर्भ की संरचना से, जन सांख्यिकी (demography) का सम्बन्ध मानव जनसंख्या की विशेषताओं एवं जीव विज्ञान (biology) तथा वनस्पति शास्त्र (botany) का संबंध क्रमशः प्राणी एवं वनस्पति जगत से है। इसी प्रकार भूगोल में प्राकृतिक तथा मानव निर्मित तथ्यों का अध्ययन किया जाता है।

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branches of human geography
मानव भूगोल

मानव भूगोल की शाखाएँ (Branches of Human Geography)

मानव भूगोल, मानव एवं उसके पर्यावरण के बीच अंतर्संबंधो (interrelationships) का अध्ययन है। यह अपनी विषय-सामग्री के विश्लेषण हेतु अन्य सामाजिक विज्ञानों  (social sciences) के साथ अपने सम्बन्ध स्थापित करता है। इस प्रक्रिया में मानव भूगोल अन्य सामाजिक विज्ञानों (social sciences) से सहायता प्राप्त करता है और उन्हें सहायता प्रदान भी करता है।

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basis of racial classification
मानव भूगोल

प्रजातियों के वर्गीकरण के आधार (Basis of Racial Classification)

ग्रिफिथ टेलर के अनुसार, “प्रजाति नस्ल को प्रकट करती है, न कि सभ्यता को (Race denotes breed, not culture) ” कई विद्वानों ने प्रजाति को अपने-अपने ढंग से  परिभाषित करने के प्रयास किए हैं, जिनमें से कुछ की परिभाषाएँ नीचे दी गई हैं

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मानव भूगोल

प्रजातियों का वर्गीकरण (Classification of Races)

प्रजातियों के वर्गीकरण के लिए सबसे प्रथम प्रयास स्वीडिश प्रकृति विज्ञानी कार्ल लिनायूस (Carl Linnaeus, 1707-1778) ने 18वीं शताब्दी के मध्य में किया था। उन्होंने मानव जाति को चार प्रजातियों में बांटा जो निम्न प्रकार से है:

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Nature of Human Geography
मानव भूगोल

मानव भूगोल की प्रकृति (Nature of Human Geography)

हम जानते हैं कि घर, गाँव, नगर, सड़कों व रेलों का उद्योग, खेत, पत्तन, दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुएँ आदि भौतिक पर्यावरण द्वारा दिए गए संसाधनों का उपयोग करते हुए मानव द्वारा निर्मित किए गए हैं। इन मानवीय तत्वों तथा भौतिक पर्यावरण के बीच, समय व स्थान के साथ बदलते हुए संबंधों का अध्ययन मानव भूगोल है।

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Contemporary Relevance of Human Geography
मानव भूगोल

मानव भूगोल की समकालीन प्रासंगिकता (Contemporary Relevance of Human Geography)

मानव भूगोल मानव व उसके पर्यावरण के बीच जटिल संबंधों को समझने का प्रयास करता है और साथ ही साथ यह मानव क्रियाओं पर भौतिक व सांस्कृतिक पर्यावरण के प्रभाव व  पर्यावरण पर मानव क्रियाओं के प्रभावों का अध्ययन करता हैI  इस प्रकार देखा जाए तो  मानव भूगोल की समकालीन प्रासंगिकता बहुत है क्योंकि यह हमें उन चुनौतियों और अवसरों को समझने में मदद करता है, जो वैश्विक समुदाय के रूप में हमारे सामने खड़ी हैI

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