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भूगोल का अर्थ एवं परिभाषा | Bhugol ka Arth | Bhugol ki Paribhasha
इस लेख में आप भूगोल का अर्थ (Bhugol ka Arth) एवं विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई भूगोल की परिभाषाओं (Bhugol ki Paribhasha) के बारे में विस्तार से जानेंगे।
भूगोल का अर्थ (Meaning of Geography)| Bhugol ka Arth
भूगोल एक ऐसा विज्ञान है जो भूतल (earth’s surface) के वर्णन एवं व्याख्या से सम्बंधित है। भूगोल का अंग्रेजी पर्याय ‘Geography’ (ज्योग्राफी) है जिसकी उत्पत्ति यूनानी भाषा के ‘ge’ (जी) और grapho’ (ग्राफो) शब्दों के मिलने से हुई है। ‘ge’ का शाब्दिक अर्थ ‘पृथ्वी’ और ‘ग्राफो’ का शाब्दिक अर्थ ‘वर्णन करना’ होता है। इस प्रकार भूगोल (geography) का सामान्य अर्थ है- पृथ्वी का वर्णन (description of the earth)।
इस प्रकार भूगोल का अर्थ (Bhugol ka Arth) है, ज्ञान की वह शाखा है जिसमें पृथ्वी के तल (भूतल) की वैज्ञानिक व्याख्या की जाती है। भौगोलिक अध्ययन का केन्द्र बिन्दु ‘कहाँ’ (where) या स्थान (place) होता है। यह भूतल के विभिन्न भागों में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के भीतिक और मानवीय तथ्यों के वितरण प्रतिरूपों की तार्किक व्याख्या करता है।
ज्ञान की अन्य शाखाओं (विज्ञानों) के बीच भूगोल की स्थिति की समीक्षा करते हुए प्रसिद्ध जर्मन भूगोलवेत्ता हेटनर (1905) ने लिखा है कि “वास्तविकता त्रिविमीय (three dimensional) विन्यास है जिसे पूर्णरूपेण समझने के लिए हमें तीन दृष्टि बिन्दुओ से निरीक्षण करना चाहिए। इनमें से किसी भी एक बिन्दु वाला निरीक्षण एक पक्षीय ही होगा और वह सम्पूर्ण को प्रदर्शित नहीं करेगा। एक बिन्दु से हम सदृश वस्तुओं का सम्बंध देखते हैं। दूसरे से काल के संदर्भ में उनके विकास का और तीसरे से क्षेत्रीय संदर्भ में उनके क्रम और वर्गीकरण का निरीक्षण करते हैं।
इस प्रकार प्रथम वर्ग के अंतर्गत वर्गीकृत विज्ञान (Classified sciences), द्वितीय वर्ग में ऐतिहासिक विज्ञान (Historical sciences) और तृतीय वर्ग में क्षेत्रीय या स्थान सम्बंधी विज्ञान (Spatial sciences) आते हैं (लेखराज सिंह, 1972 )।
वर्गीकृत विज्ञान तत्वों की व्याख्या करतें हैं। अतः इन्हें तत्व विज्ञान (Material sciences) भी कहा जा ता है। प्रकृति के अनुसार इन्हें प्राकृतिक और सांस्कृतिक (मानवीय) विज्ञान के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। ऐतिहासिक विज्ञान काल या समय (time) के सन्दर्भ में तत्वों, घटनाओं या क्षेत्रों के विकास क्रम की व्याख्या करतें है। क्षेत्रीय विज्ञान तत्वों या घटनाओं का विश्लेषण स्थान के संदर्भ में करते हैं।
क्षेत्र या स्थान (space or place) के अध्ययन से सम्बंधित विज्ञानों को तीन प्रधान वर्गों में विभक्त किया जाता है-
1. खगोल या अंतरिक्ष विज्ञान (Astronomy),
2. भूगोल (Geography), और
3. भूगर्भ शाख (Geology)।
अंतरिक्ष (space) में आकाशी पिण्डों के क्रम का अध्ययन खगोल या अंतरिक्ष विज्ञान में और पृथ्वी के तल (भूतल पर तथ्यों के वितरण का अध्ययन भूगोल के अंतर्गत किया जाता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि भूगोल एक भूविस्तारीय विज्ञान है और यह ‘कहाँ’ (where) की खोज आकाश अथवा भूगर्भ में नहीं बल्कि पृथ्वी के तल पर करता है। इस संदर्भ में भूतल (earth’s surface) से अभिप्राय केवल पृथ्वी की ऊपरी सतह से ही नहीं है बल्कि इसके अंतर्गत उससे संलग्न उन भागों को भी सम्मिलित किया जाता है जहाँ तक किसी माध्यम से मनुष्य की पहुँच है। अतः मानव ज्ञान और विज्ञान के विकास के साथ-साथ भूगोल की परिधि में विस्तार संम्भावित है।
इस प्रकार भूतल के अंतर्गत तीन प्रकार के क्षेत्र सम्मिलित हैं-
(1) पृथ्वी की उपरी सतह (तल) तथा उसके नीचे की पतली भू-पेटी,
(2) भूतल के ऊपर की निचली वायुमंडलीय पेटी, और
(3) पृथ्वी पर स्थित जलीय भाग (महासागर)।
इन तीनों प्रमुख क्षेत्रों को क्रमश: स्थलमंडल (Lithosphere), वायुमंडल (Atmosphere), और जलमंडल (Hydrosphere) के नाम से जाना जाता है।
भूगोल की परिभाषा (Definition of Geography) | Bhugol ki Paribhasha
आइए विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई विभिन्न परिभाषाओं (Bhugol ki Paribhasha) को समझने का प्रयास करते हैं:
भूगोल पृथ्वी के भूदृश्यों तथा मानवीय क्रियाकलापों के अंतर्सम्बंधों की व्याख्या करता है। पीटर हैगेट ((1990) ने लिखा है कि “इतिहासकार दर्पण का प्रयोग पीछे देखने के लिए और भौतिकविद् आगे देखने के लिए करता है तो भूगोलवेत्ता के लिए दर्पण का उपयोग क्षेत्र (space) के विभिन्न आयामों को देखने के लिए है।” इसीलिए भूगोल को ‘पृथ्वी का दर्पण’ कहा जाता है (Geography is mirror of the earth) I
भूगोल के विकास के साथ-साथ इसके चिन्तन फलक, दृष्टिकोण और अध्ययन विधि में उल्लेखनीय परिवर्तन एवं परिमार्जन होता रहा है। अतः देश-काल के अनुसार विभिन्न भूगोलवेत्ताओं द्वारा प्रस्तुत भूगोल की परिभाषाओं में अंतर देखने को मिलता है। सामान्यतः सभी भूगोलवेत्ता यह स्वीकार करते हैं कि भूगोल वह विशिष्ट विज्ञान है जो भूतल के परिवर्तनशील स्वरूप का अध्ययन करता है। भूतल पर मानव का निवास है, अतः भौगोलिक विवेचन में पृथ्वी के तल का अध्ययन मानव गृह या मानवीय संसार के रूप में (as the home of man or as the world of man) किया जाता है।
रिचर्ड हार्टशोर्न (R. Hartshorne) ने लिखा है कि भूगोल पृथ्वी के परिवर्तनशील सतह (धरातल) का सूक्ष्म अध्ययन प्रस्तुत करता है जो मनुष्य के लिए महत्वपूर्ण है।
कुछ प्रमुख भूगोलवेत्ताओं द्वारा प्रस्तुत भूगोल की परिभाषाएं (Bhugol ki Paribhasha) निम्नांकित हैं;
1. सत्रहवीं शताब्दी के भूगोलवेत्ता वरेनियस (Varenius) के अनुसार, “भूगोल अपना ध्यान पृथ्वी की सतह पर केन्द्रित करता है जहाँ यह जलवायु, भूसतही दृश्यों, जलाशयों, वनों, मरुस्थलों, खनिजों, पशुओं तथा मानव निवासियों जैसे तथ्यों का निरीक्षण करता है।”
2. जर्मन भूगोलवेता अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट (Allexander von Humbolt) के अनुसार “भूगोल प्रकृति के अध्ययन से सम्बंधित है। “
3. जर्मन भूगोलवेत्ता कार्ल रिटर (Carl Ritter) के अनुसार, “भूगोल का उद्देश्य पृथ्वी के तल का अध्ययन है जो मानव का निवास घर है।”
4. फ्रांसीसी भूगोलवेत्ता वाइडल डी ला ब्लाश (Vidal de la Blache) के मतानुसार, “भूगोल मनुष्य से नहीं, स्थान से सम्बंधित विज्ञान है।”
5. जर्मन भूगोलवेत्ता अल्फ्रेड हेटनर (A Hettner) के अनुसार, “भूगोल एक भूविस्तारीय विज्ञान है जिसका उद्देश्य पृथ्वी के तल पर क्षेत्रीय विभिन्नताओं और उनके स्थानिक सम्बंधों का अध्ययन करना होता है।”
6. जर्मन भूगोलवेत्ता रिचथोफेन (Richthofen) के अनुसार, “भूतल के विभिन्न क्षेत्रों और इनकी सम्पूर्ण विशेषताओं का अध्ययन ही भूगोल है।”
7. अमेरिकी भूगोलवेत्ता बैरोज (H.H. Barrows) ने भूगोल को मानव पारिस्थितिकी (Human Ecology) बताते हुए भूगोल को इस प्रकार परिभाषित किया है, “भूगोल मुख्य रूप से मनुष्य और उनके प्राकृतिक पर्यावरण के मध्य सम्बंधों की व्याख्या करता है।”
8. अमेरिकी भूगोलवेत्ता रिचर्ड हार्टशोर्न (Richard Hartshorne) के अनुसार, “भूगोल भूतल के परिवर्तनशील स्वरूप के यथार्थ, क्रमबद्ध और तर्कसंगत वर्णन एवं व्याख्या से सम्बंधित है।”
9. अमेरिकी भूगोलवेत्ता ब्रोक (O. J. M. Brock) के अनुसार, “मानवीय संसार के रूप में पृथ्वी की भिन्नता का क्रमबद्ध ज्ञान है।”
10. फिंच एवं ट्रेवार्था (Finch and Trewartha) ने भूगोल को भूतल का विज्ञान मानते हुए इस प्रकार परिभाषित किया है : “भूगोल भूतल का विज्ञान है। इसके अंतर्गत पृथ्वी के तल पर वस्तुओं के वितरण प्रतिरूप तथा प्रादेशिक साहचयों का क्रमबद्ध वर्णन एवं व्याख्या सम्मिलित होती है।”
11. अमेरिकी भूगोलवेत्ता एकरमैन (E. A. Ackerman) के शब्दों में, “भूगोल पृथ्वी के तल पर सम्पूर्ण मानवता और उसके प्राकृतिक पर्यावरण को समाहित करते हुए विस्तृत अन्योन्यक्रिया प्रणाली का वैज्ञानिक अध्ययन है।”
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MCQs on “भूगोल का अर्थ”:
- भूगोल शब्द की उत्पत्ति किस भाषा से हुई है?
(a) संस्कृत
(b) यूनानी
(c) अंग्रेजी
(d) लैटिन - भूगोल में ‘ge’ का शाब्दिक अर्थ क्या है?
(a) पहाड़
(b) पृथ्वी
(c) महासागर
(d) जल - भूगोल का सामान्य अर्थ क्या है?
(a) पृथ्वी का अध्ययन
(b) ग्रहों का अध्ययन
(c) महासागरों का अध्ययन
(d) मानव सभ्यता का अध्ययन - भूगोल किस विज्ञान से सम्बंधित है?
(a) खगोल विज्ञान
(b) पृथ्वी का तल
(c) वनस्पति विज्ञान
(d) अंतरिक्ष विज्ञान - भूगोल का अध्ययन किस प्रकार के क्षेत्रों में होता है?
(a) अंतरिक्ष
(b) समुद्र के तल
(c) पृथ्वी की सतह
(d) ग्रहों की सतह - कौन से वैज्ञानिक ने भूगोल को ‘पृथ्वी का दर्पण’ कहा है?
(a) रिचर्ड हार्टशोर्न
(b) पीटर हैगेट
(c) वरेनियस
(d) कार्ल रिटर - अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट के अनुसार भूगोल किससे सम्बंधित है?
(a) मानवता
(b) प्रकृति का अध्ययन
(c) अंतरिक्ष
(d) जलवायु - मानव पारिस्थितिकी का अध्ययन भूगोल में किसने किया है?
(a) बैरोज
(b) वाइडल डी ला ब्लाश
(c) कार्ल रिटर
(d) अल्फ्रेड हेटनर - भूगोल का अध्ययन किस प्रश्न के आधार पर किया जाता है?
(a) क्यों
(b) कहाँ
(c) कब
(d) कैसे - भूगोल के अध्ययन में कौन-सा तत्व सम्मिलित नहीं होता है?
(a) स्थलमंडल
(b) जलमंडल
(c) वायुमंडल
(d) ग्रहों का विन्यास
उत्तर:
- (b)
- (b)
- (a)
- (b)
- (c)
- (b)
- (b)
- (a)
- (b)
- (d)
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